आजादी के 75 वर्ष के मायने
हमारे देश भारत को ब्रितानी हुकूमत से आजाद हुए 75 साल पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर हम और हमारा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इस लेख के माध्यम से इसके महत्व और मायने को समझने का प्रयास करेंगे।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज से लगभग सवा चार सौ साल पहले गोरे आक्रांता व्यापारी का वेश धारण करके इस देश में आते हैं और जल्द ही यहां की राजनीतिक दुर्बलता और सामाजिक विभाजन का लाभ उठाकर शासक बन बैठे।
सत्रहवीं शताब्दी से लेकर बीसवीं शताब्दी के मध्य तक इस देश का हर प्रकार से दोहन किया और अन्ततः जब उनकी खुद की सत्ता कमजोर होने लगी तो इस देश को 14 - 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को दो टुकड़ों में विभाजित करके ब्रिटेन वापस लौट गए।
जब हम ब्रिटिशर्स उपनिवेशवाद से मुक्त हुए तब दोनों नव सृजित मुल्कों से एक बहुत बड़ी आबादी का धर्म के नाम पर एक मुल्क से दुसरे मुल्क की ओर पलायन हुआ और इस जन पलायन का सबसे खराब पहलू यह था कि एक बड़ी आबादी को अपनी जान से हाथ गंवानी पड़ी।
पलायन के दौरान लोगों ने धार्मिक उन्माद के कारण बड़ी संख्या में एक-दूसरे का खून बहाया। दोनों मुल्कों में प्रमुख हिस्से जैसे - बंगाल, पंजाब दंगे की आग की चपेट में जल उठा, मानवता कराह उठी।
ऐसे समय में जहां भारत देश एक तरफ आजादी का जश्न मना रहा था, वहीं दूसरी ओर देश का कुछ हिस्सा मानवीय त्रासदी से जूझ रहा था। ऐसे में महात्मा गांधी मानवता की रक्षा और दंगे रुकवाने के लिए नोआखली में प्रयासरत थे।
परन्तु ये दंगे तब रुके जब एक सिरफिरे ने गांधी जी की हत्या कर दी। कहा जाता है कि अकेले भारत-पाकिस्तान विभाजन से उपजी त्रासदी के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोग मारे गए जितना कि द्वितीय विश्व युद्ध में भी नहीं मारे गए थे।
उपरोक्त बातों से आप सभी को यह स्पष्ट हो गया होगा कि 1947 में हमरा देश किन हालातों में हमें सौंपा गया था। आजाद होने की जितनी बड़ी खुशी मिली थी, हमारे समक्ष उससे कहीं बड़ी चुनौतीयां भी थी।
इसके बावजूद लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ आगे बढ़ते हुए 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ और हम गणतंत्र देश बन गए । इसके साथ ही हमने निरंतर आगे बढ़ते रहे और कभी भी पिछे मुड़कर नहीं देखा।
हमने बैंकिंग सेक्टर, नवनिर्माण क्षेत्र, रक्षा क्षेत्र, शिक्षा के क्षेत्र में, विज्ञान व तकनीकी के क्षेत्र में और खेल जगत में नीत नये किर्तिमान स्थापित किया। हम आज लुक ईस्ट की पॉलिसी से आगे बढ़कर एक्ट ईस्ट तक पहुंच गये है। हमने मंगल मिशन को सफलता पूर्वक लांच करके इतिहास रच दिया है, वो भी अपने पहले प्रयास में ही।
हम आज आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन हमें यह समझना होगा कि इन पचहत्तर वर्षों के बीच हमारे समक्ष जो वृहद चुनौतीयां थी जैसे - देश का एकीकरण करना, देश को हर प्रकार से हर नागरिक को जाति, धर्म, सम्प्रदाय और लैंगिक समानता स्थापित करना, विविधता में एकता को लागू करना, गरीबी, भूखमरी और बेरोज़गारी की चुनौती।
इन सब चुनौतियों से निपटने में हम कहां तक सक्षम हुए हैं। अभी हाल ही राजस्थान के जालोर में एक आठ साल के मासूम की उसके ही शिक्षक द्वारा सिर्फ इसलिए बेरहमी से मारा-पीटा गया, क्योंकि उसने सवर्ण शिक्षक की मटकी से गलती से पानी पी लिया था, जिस मासूम की अहमदाबाद के एक हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई।
सबसे बड़ी ताज्जुब की बात यह है कि जहां एक तरफ हमारा संविधान हर प्रकार की समानता का अधिकार प्रदान करता है, अस्पृश्यता को ग़लत मानता है वहीं दूसरी ओर राजस्थान के उस विद्यालय में तथाकथित सवर्ण जातियों के छात्रों और शिक्षकों के लिए पीने के पानी की अलग मटकी जबकि तथाकथित दलित जातियों के बच्चों और शिक्षकों के पानी पीने के लिए अलग मटकी रखी थी। हम सबके यह कितनी शर्म की बात है।
आज भी हमारे देश में हत्या , लूटपाट , बलात्कार , जातिगत भेदभाव , लैंगिक भेदभाव और अन्य किस्म की बुराईयां बनी हुई है जबकि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हम यह नहीं कह रहे कि ये बुराईयां एक झटके में खत्म हो जाएगी। हम बिल्कुल भी नहीं कह रहे हैं कि हमें आजादी के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न नहीं मनाना चाहिए।
हम ये भी नहीं कह रहे हैं कि हमें आजादी का अमृत महोत्सव नहीं मनाना चाहिए। हम भारत के लोगों को पूरा अधिकार है कि हम पूरे हर्षोल्लास के साथ इसे मनाएं और वाकई हमने मनाया भी लेकिन हम सबको यह संकल्प लेना होगा कि जब हम आजादी की 100वीं वर्ष गांठ मनाने वाले हों तो हमारा देश इन सभी बुराइयों से बहुत हद तक मुक्त हो चुका रहें और संविधान के अनुकूल एक राष्ट्र बन चुका रहें।
धन्यवाद 🙏 सभी देशवासियों को 76वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। जय हिन्द 🙏
Excellent work 👍
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