अण्डजनन एवं शुक्रजनन में अंतर

अण्डजनन अंडाशय की ग्राफ़ियान पुटिका में होने वाली प्रक्रिया है इसके द्वारा अंडाणु का निर्माण होता है। यह लैंगिक परिपक्वन की आयु से प्रारम्भ होता है।

शुक्राणु पुरुष जनन कोशिका है जो मनुष्य के शरीर में बनता है इसका निर्माण पुरुष के अंडकोष में होता है शुक्राणु और अंडाणु अंडाशय में मिलकर बच्चो का निर्माण करती है।

शुक्राणु जनन और अण्डाणुजनन में अंतर 

शुक्राणुजनन

1. शुक्राणु जनन दो अवस्थाओं में पूर्ण होता है -(a) स्पर्मेटिड का निर्माण (b) स्पर्मेटिक का स्पर्मेटोजोआ में कायांतरण।

2. स्पर्मेटिड निर्माण की क्रिया तीन अवस्थाओं में सम्पन होती है।

3. सम्पन्न होने वाली अवस्थाओं गुणन अवस्था, वृद्धि अवस्था तथा परिपक्वन अवस्थाये कहलाती है।

4. गुण अवस्था दो माइटोटिक विभाजनों द्वारा प्राइमरी जर्म कोशिका चार स्पमेर्टोजोनिया बनाया है, यह चारो ग्रंथि अवस्था के अंतगर्त बढ़ते है तथा परिपक्वन अवस्था में जाते है।

5. परिपक्क्वन अवस्था के अंतर्गत प्रत्येक स्पर्मेटोनिया दो बार विभाजित होता है, प्रथम विभाजन मियोटिक तथा दूसरा माइटोनिक होता है जिसमे चार हेंप्लाय्ड स्पर्मेटिड बनते है।

6. एक जर्म कोशिका 16 स्पर्मेटिड बनाता है जो आकार में बराबर होते है।

7. स्पर्मेटिड के कायांतरण में इसकी लम्बाई बढ़ जाती है सेन्ट्रीमोडा दो भागों में बट जाता है - एक स्पर्मेटोजोआ की पूँछ का बनाता है।

8. पूर्ण विकसित स्पर्मेटोजोआ में सिर गर्दन तथा पूँछ होती है।

9. यह क्रिया टेस्टीज में होती है।

अण्डजनन

1. अण्डजनन की क्रिया में सीधा अंडाणु निर्मित होता है, इसमें कायांतरण नहीं होता है।

2. सेकंडरी असाइट का निर्माण भी तीन अवस्थाओं में पूरा होता है।

3. इसमें भी यही तीनो अवस्थाये होती है .

4. इसमें भी प्राइमरी जर्म कोशिका दो माइटोटिक विभाजनों द्वारा चार प्राइमरी असाइट बनाता है जो चारो ग्रंथि अवस्था के अंतगर्त बढ़ोत्तरी करते है।

5. यह विभाजन प्रथम पॉलर बॉडी में नहीं होता है परन्तु सेकेंड्री असाइट विभाजित होकर द्वितीयक पोलर बॉडी बनाती है। पोलर बॉडी का प्रजनन में कोई महत्त्व नहीं होता अतः शीघ्र नष्ट हो जाती है इस प्रकार अण्ड जनन में एक प्राइमरी जर्म कोशिका से 4 अंडाणु ही बचते है।

6. इसमें कायांतरण नहीं होता है।

7. पूर्ण विकसित अंडाणु गोल होता है।

8. यह क्रिया ओवरी में होती है।

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