आज बीपी मंडल के नाम से मशहूर बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की जन्म जयंती है , जिसके अवसर पर हम यह लेख लिखने का साहस जुटा पा रहे है। बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल वह नाम है जिसने भारत में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण दिलवाने के लिए कार्य किया।
वैसे तो भारतीय समाज में इनका योगदान अतुलनीय है परंतु बावजूद इसके उन्हें केवल पिछड़ों के मसीहा के रूप में जाना जाता है । आइए हम सब आज उनके जन्म जयंती के अवसर पर उन्हें याद करते हैं।
परिचय :-
बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल और बिहार के सातवें मुख्यमंत्री वैसे तो किसी परिचय के मोहताज नहीं परंतु उन्हें जानने के लिए, समझने के लिए उनके बारे में जानना भी आवश्यक है।
बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल का जन्म 25 अगस्त 1918 को बनारस में हुआ था उन्होंने अपने जीवन की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त किया इसके पश्चात उच्च शिक्षा के लिए पटना चले गए।
अपनी शिक्षा को पूरी करने के बाद बिहार में ही कई क्षेत्रों में मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया, तत्पश्चात समय की आवश्यकता को देखते हुए उन्होंने मजिस्ट्रेट के पद से इस्तीफा दे दिया एवं इसके बाद जीवन का एक बड़ा हिस्सा बिहार की राजनीति को एक नया आयाम प्रदान करते हुए पूरे भारत के पिछड़े समुदाय को अपनी रिपोर्ट के माध्यम से ओबीसी का आरक्षण दिलवाकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य । अंततः 13 अप्रैल 1982 को 63 वर्ष की अवस्था में इस मनस्वी का निधन हो गया।
राजनीतिक जीवन :-
मजिस्ट्रेट पद से त्याग देने के पश्चात वे राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बनें और फरवरी 1968 में उन्हें बिहार के सातवें मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला परंतु वह मुख्यमंत्री के रूप में कुछ विशेष कर पाते उससे पहले ही 2 मार्च 1968 को उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना और केवल 31 दिन तक ही वे बिहार के मुख्यमंत्री पद को सुशोभित कर पाए । यद्यपि की उन्होंने मधेपुरा संसदीय क्षेत्र के सांसद के रूप में एक लंबे समय तक अपना योगदान दिया।
पिछड़े वर्ग के उत्थान में उनका योगदान :-
पिछड़े वर्ग के उत्थान में बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल का योगदान उल्लेखनीय 1978 में जब देश में जनता पार्टी की सरकार थी तब उसी समय पिछड़ी जातियों के द्वारा नौकरियों में आरक्षण की मांग तेजी से उठ रही थी जिसे देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री ने बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल अर्थात बीपी मंडल की अध्यक्षता में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया
जिसे मंडल कमीशन के नाम से भी जाना जाता है। बी पी मंडल जी ने अपनी रिपोर्ट सरकार के समक्ष 1980 में प्रस्तुत किया जिसके आधार पर भारत की अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी कटेगी) को सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण दिए जाने की सिफारिश की गई, जो संयोगवश उस समय लागू नहीं हो पाई।
देश में ओबीसी आरक्षण लागू और देश भर में इसका विरोध प्रदर्शन :-
यद्यपि ओबीसी आरक्षण के संबंध में मंडल आयोग ने 1980 में ही अपनी रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था परंतु जल्द ही जनता सरकार के गिर जाने के कारण यह लागू नहीं हो पाया।
जब देश में विश्वनाथ प्रताप सिंह उर्फ वीपी सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तब उन्होंने 1990 में ओबीसी वर्ग को मंडल कमीशन की सिफारिशों के आधार पर 27% आरक्षण देने का प्रावधान किया। जिसका पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया स्थिति यहां तक खराब हो गई दिल्ली के देशबंधु कॉलेज के छात्र राजीव गोस्वामी ने आत्मदाह करने का प्रयास किया।
सबसे अधिक आश्चर्य वाली बात यह थी कि गोस्वामी एक ब्राह्मण जाति है बावजूद उन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ दिया गया परंतु विपक्ष के द्वारा फैलाए गए भ्रम के कारण राजीव गोस्वामी जैसे अनेकों छात्रों द्वारा ओबीसी आरक्षण का विरोध किया जा रहा था।
यद्यपि मंडल आयोग के शिल्पकार बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल तो जीवित नहीं थे वावजूद इसके उनके खिलाफ और तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के खिलाफ नारेबाजी की जा रही थी।
प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के खिलाफ यहां तक नारे लगाए कि 'राजा नहीं रंक है देश का कलंक है।' परन्तु उनके दृढ़ संकल्प के कारण 1990 में ओबीसी आरक्षण पूरे देश में एक साथ लागू हुआ ।
यह अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग यानी मंडल आयोग के मुखिया बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल के द्वारा रिपोर्ट बनाने में किए गए इमानदार प्रयासों का ही परिणाम था जिसकी वजह से पूरे देश के ओबीसी वर्ग को सरकारी नौकरियों विश्वविद्यालय शिक्षा आदि में 27% का आरक्षण प्राप्त हो सका और ओबीसी वर्ग का युवा भी मुख्यधारा से जुड़ कर देश के विकास में अग्रणी भूमिका निभाने में सक्षम हो पाया आज स्वर्गीय बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल उर्फ बीपी मंडल की जन्म जयंती है इस अवसर पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि । धन्यवाद 🙏
Good work.
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