इस पेज पर आप विज्ञान के महत्वपूर्ण अध्याय धमनी और शिरा से संबंधित जानकारी पढ़ेंगे।
तो चलिए धमनी और शिरा से संबंधित जानकारी पढ़ना शुरू करते है।
धमनी क्या है
वे वाहिकाएँ जो रक्त को ह्रदय से शरीर के विभिन्न भागो को ले जाती है, धमनियाँ कहलाती है।
धमनियाँ शरीर के विभिन्न भागों में जाकर पतली-पतली शाखाओ में विभाजित हो जाती है, जिन्हे धमनिका कहते हैं।
पल्मोनरी धमनी को छोड़कर शेष धमनियों में ऑक्सीजन युक्त रक्त बहता है। जब हृदय का निलय संकुचित होता है तो बहुत - सा रुधिर धमनियों में आ जाता है। चूँकि ह्रदय में क्रमिक स्पंदन होता रहता है जिससे रुधिर रुक रुक कर अधिक दाब के साथ धमनियों में बहता रहता है।
यही कारण है की धमनियों की दीवार शिरा की अपेक्षा मोटी होती है और इसमें इलास्टीन तंतुओं की मात्रा बहुत अधिक होती है।
दीवार मोटी होने के कारण इसमें रक्त न होने पर भी ये पिचकती नहीं है। धमनियों के कपाट नहीं होता क्योंकि ह्रदय के पम्पिंग दाब के कारण रुधिर इनमें उल्टा नहीं बहता।
धमनिया की दीवार संरचनात्मक दृष्टि से तीन स्तरों की बनी होती है -
(I) बाह्य स्तर - यह सबसे बाहरी स्तर है। संयोजी ऊतकों की बनी होने के कारण यह धमनियों को दृढ़ता प्रदान करती है। इसमें लंबवत अरेखित पेशी तंतु तंत्रिका तंतु, लसीका वाहिनियाँ एवं इलास्टीन तंतु पाये जाते हैं।
(II) मध्य स्तर - यह स्तर बाह्य स्तर के नीचे स्थित होता है और मुख्यतः वर्तुल अरेखित पेशी तंतुओं का बना होता है। इसके बीच में तंत्रिका तंतु तथा कोलेजन तंतु भी पाये जाते है।
(III) अन्तः स्तर - यह सबसे भीतरी स्तर है जो चपटी एण्डोथीलियम कोशिकाओं के एक स्तर का बना होता है।
शिरा क्या है
वे शिराएँ जो शरीर के विभिन्न भागों से रुधिर को ह्रदय में वापस लाती हैं, शिराएँ कहलाती है।
इनकी दीवार पतली तथा गुहा चौड़ी होती है इनमे इलास्टीन तंतु भी कम संख्या में पाये जाते हैं जिससे ये रक्त की कमी होने पर पिचकने लगती है। इनकी गुहा के चौड़ी होने के कारण इनमे रुधिर कम दाब से धारा के रूप में धीमी गति से निरंतर बहता रहता है।
रुधिर दाब कम होने के कारण इनमें उलटे भाव को रोकने के लिए जगह-जगह पर अर्ध्दचन्द्राकार कपाट पाये जाते है। जब कभी शिराओ में रुधिर का बहाव उल्टा होता है तो ये बंद होकर रुधिर के उल्टे बहाव को रोक देते है।
शिराओं की दीवार भी धमनी के ही समान तीन स्तरों की बनी होती है लेकिन इसकी बाह्य स्तर अन्य दोनों की अपेक्षा अधिक विकसित होती है, शेष स्तर धमनियों की अपेक्षा कम विकसित होती है और इनमे तंतु भी कम मात्रा में पाए जाते है।
शिराएँ शरीर की ऊपरी सतह पर तथा धमनियाँ निचली सतह पर स्थित होती है अपेक्षाकृत ऊपरी सतह पर स्थित होने के कारण इन्हे बाहर से देखा जा सकता है। इनमे बहनें वाले रक्त में ऑक्सीजन न होने के कारण ये नीले रंग की दिखायी देती है।
धमनी और शिरा में अंतर
क्र. | धमनी | शिरा |
1. | धमनियाँ रुधिर को ह्रदय से अंगों की और ले जाती है। |
शिराएँ रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों से ह्रदय में लाती है।
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2. | धमनियों में रुधिर अधिक दाब से झटके के साथ बहता है। | शिराओं में रुधिर धीमी एक समान गति से बहता है। |
3. | धमनियों की दीवारें मोटी तथा पेशीय होती है। | शिराओं की दीवारे पतली तथा लचीली होती है। |
4. | धमनियों की गुहा सँकरी होती है। | शिराओं की गुहा चौड़ी होती है। |
5. | धमनियाँ खाली होने पर पिचकती नहीं है। | शिराएँ खाली होने पर पिचक जाती है। |
6. | धमनियों के कपाट नहीं पाये जाते है। | शिराओं में कपाट पाये जाते है। |
7. | धमनियाँ शरीर के अंगों की गहराई में स्थित होती है। | शिराएँ ऊपरी सतह पर स्थित होती है। |
8. | धमनियाँ लाल रंग की होती है। | शिराएँ गहरे लाल या नीले - बैगनी रंग की होती है। |
9. | पल्मोनरी धमनी को छोड़कर शेष सभी धमनियों में ऑक्सीजनयुक्त रुधिर बहता है। |
पल्मोनरी शिरा को छोड़कर शेष सभी शिराओं में ऑक्सीजनविहीन रुधिर बहता है।
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