द्विबीजपत्री जड़ो की विशेषताएँ जड़ो की विशेषताएँ -
- द्विबीजपत्री जड़ो में कॉर्क तथा कॉर्क कैम्बियम पाया जाता है।
- मार्ग कोशिकाएं बहुत कम पायी जाती है।
- परिरम्भ में प्रविभाजी क्रियासीलता पायी जाती है।
- संवहन बंडलों की संख्या 2 से 6 तक होती है। केवल फाइकस में बंडल्स की संख्या 6 से अधिक होती है।
- जाइलम वाहिनीकाएँ बहुभुजी अथवा कोणीय होती है।
- मज्जा कम विकसित या अनुपस्थित होता है।
द्विबीजपत्री जड़ो की आंतरिक संरचना -
रोमधारक स्तर - जड़ की यह सबसे बाहरी पर्त होती है। इससे मूलरूप निकलते है जो एककोशिकीय एवं असंख्य होते है। इनमे उपचर्म का अभाव होता है।
वल्कुट - यह मूलीय त्वचा के नीचे पाया जाता है इसका निर्माण पतली भित्ति वाली ,अंतरकोशिकीय स्थानों युक्त ,गोलाकार पैरेकाइमी कोशिकाओ द्वारा होता है।
एण्डोडर्मिस - यह वल्कुट की सबसे भीतरी परत है जो रम्भ को चारो ओर से घेरे रहती है। इसकी कोशिकाओ में कैस्पेरियन पटिटयाँ पायी जाती है।
परिरम्भ - इसकी कोशिकाये पतली भित्ति वाली होती है यह एण्डोडर्मिस के नीचे पाया जाता है।
संवहन पूल -जाइलम एवं फ्लोएम के 2 से 6 पूल रहते है.इसमें जाइलम की अवस्था एक्सार्क होती है।
मज्जा - यह केंद्र में पाया जाता है यह बहुत कम विकसित होता है।
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