मन को पवित्र कैसे करे | मन को पवित्र करने का मंत्र

नमस्कार दोस्तों, आप सभी ने यह बात गौर की होगी कि हमारा मन हमेशा विचलित रहता है और हम सही तरीके से किसी कार्य का आकलन नहीं कर पाते हैं। हमारे जीवन में कई ऐसी घटनाएं होती हैं जिनके माध्यम से हम खुद के अंदर बदलाव नहीं ला पाते या फिर अपने मन को पवित्र नहीं रख पाते हैं।

कभी-कभी चारों ओर की भिन्नता और मुसीबतों का सामना करते हुए हमारे अंदर कड़वाहट भर जाती है और इस वजह से हम सही तरीके से खुद को आगे बढ़ा पाने में नाकामयाब साबित होते हैं। 

अगर इन सारी मुसीबतों को आपने सहा हुआ है, तो ऐसे में आप अपने मन को पवित्र रखते हुए कार्य को संपन्न कर सकते हैं। ऐसे में हम आज आपको मन को पवित्र करने के नायाब तरीके बताएंगे जिसके माध्यम से निश्चित रूप से ही आपको सफलता मिल सके।

मन की पवित्रता क्या होती है

मन की पवित्रता एक ऐसा माध्यम है जिससे आप अपनी सारी इंद्रियों को खोलते हुए आकलन कर सकते हैं साथ ही साथ आंतरिक और बाहरी ऊर्जा का भी समावेश किया जा सकता है। मन की पवित्रता के माध्यम से हम संपूर्ण शरीर को शुद्ध रखते हैं जिससे मन में उत्तम विचारों का आगमन होता हैं। 

यदि किसी व्यक्ति के अंदर मन की पवित्रता ना हो तो संपूर्ण जीवन असफलता की दौड़ में आगे बढ़ता है, और सारे कार्य अधूरे होते हैं। ऐसे में मन की पवित्रता का होना आवश्यक माना गया है ताकि खुद का ही सर्वांगीण विकास किया जा सके। 

मन को पवित्र करने के तरीके

अगर आप अपने मन को पवित्र करना चाहते हैं इसके लिए कुछ तरीके हम आपको बताने वाले हैं, जो निश्चित रूप से ही आपके काम आ सकते हैं| 

1. ईश्वर की भक्ति में लीन होना

अपने मन को पवित्र करने का सबसे अच्छा माध्यम ईश्वर की भक्ति में लीन होना बताया गया है। जब भी हम ईश्वर के सानिध्य में जाते हैं तो हमारा मन और तन अपने आप पवित्र होता है और सारे दुख कम होते नजर आते हैं।

ईश्वर की भक्ति में लीन होने के लिए आप भजन कीर्तन कर सकते हैं जो भी इंसान भक्ति मार्ग के रास्ते पर चलकर ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाते हैं, ऐसे में मन को पवित्र किया जा सकता है।

प्राचीन काल से ही इस बात की पुष्टि की गई है कि अगर ईश्वर की भक्ति में खुद को लीन रखा जाए या फिर दिन में ईश्वर को याद किया जाए तो इसके माध्यम से अपने मन को पवित्र रखा जा सकता है।

2. योग का ले सहारा

आज के समय में लोग योग के माध्यम से खुद को स्वस्थ रखने की कोशिश करते हैं| ऐसे में योग के माध्यम से कई सारी बीमारियों के अलावा खुद के मन को पवित्र भी रखा जा सकता है।

ताजा सर्वे के अनुसार यह बात साबित होती है कि अगर आप रोजाना सूर्योदय के समय योग करते हैं, तो निश्चित रूप से आप को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है साथ ही साथ आप अपने मन को पवित्र रख सकते हैं।

जब भी योग का अभ्यास किया जाए तो इस बात को निश्चित कर लिया जाए कि आप सकारात्मक ऊर्जा के लिए तैयार हैं। आज तक कई सारे लोगों ने मन को पवित्र रखने के लिए इस तरीके को अपनाकर एक नए मुकाम को हासिल किया है| ऐसे में अगर आप भी योग का सहारा  लेते हैं, तो निश्चित रूप से ही आप अपने मन को  पवित्र रख सकते हैं।

3. आध्यात्मिक पुस्तक का ले सहारा

कई बार ऐसा होता है जो काम खुद नहीं कर पाते हैं वह काम कोई एक ऐसी किताब कर देती है जिसकी माध्यम से हम खुद को साबित कर सकते हैं|

अगर हम आध्यात्मिक पुस्तक की बात करें तो इसके माध्यम से हम देख पाएंगे कि हम अपने मन को आसानी के साथ पवित्र कर सकते हैं। इन पुस्तकों में ऐसी कई स्मरणीय बातें होती हैं जिन्हें हम जाने-अनजाने में नजरअंदाज कर देते हैं।

इससे मन में उठने वाली हलचल को भी कम किया जा सकता है| अगर आप चाहे तो अध्यात्म के साथ-साथ संघर्षमय किताबो को पढ़कर भी अपने मन को पवित्र रखा जा सकता है|

4. सुबह जल्दी उठने का प्रयास करें

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका जल्दी उठने का बिल्कुल भी मन नहीं करता और इस वजह से उनका पूरा दिन खराब होता है साथ-साथ मन भी अपवित्र होता चला जाता है।

ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अगर आप सुबह जल्दी उठते हैं, तो निश्चित रूप से आप को फायदा होगा। ऐसे में अगर आप सुबह जल्दी उठने का प्रयास करें, तो आप खुद के मन को पवित्र कर सकते हैं।

साथ-साथ इसके माध्यम से आपके घर का वातावरण भी बहुत अच्छा हो सकता है। ऐसे में अगर आप इन बातों का ख्याल रखेंगे तो निश्चित रूप से ही आपको  फायदा होगा।

5. दूसरों की बुराई से बचाव करें

हम तब तक अपने आप को पवित्र नहीं रख सकते जब तक हमारे अंदर द्वेष, ईर्ष्या की भावना समाहित होती है। अगर आप हमेशा दूसरों की बुराई में लीन रहते हैं, तो इस बात की गारंटी होती है कि आपके अंदर कभी भी अच्छी भावना का वास नहीं हो सकता।

यदि आप खुद के मन को पवित्र रखना चाहते हैं, तो एक बात मन में गांठ बांध ले कि कभी दूसरों की बुराई करने से दूर रहना चाहिए क्योंकि इसके माध्यम से भी मन को पवित्र रखा जा सकता है। 

हम आपको यही संदेश देना चाहेंगे कि कभी भी इस बुराई से दूर रहना आपके लिए हितकर होगा क्योंकि इसके माध्यम से आपके मन पर गहरा असर हो सकता है और आप सही तरीके से कार्य को संपन्न नहीं कर पाएंगे।

6. अच्छी आदत को शामिल करें

अगर आप अपने मन को पवित्र रखना चाहते हैं,  तो अपनी अच्छी आदतों को शामिल करना होगा| ऐसा देखा जाता है कि अगर हमारे अंदर कुछ अच्छी आदत है तो हम अपने मन को पवित्र रख सकते हैं और उसके माध्यम से खुद का क्रियात्मक विकास भी किया जा सकता है।

जब हम बड़े होते हैं, तो हमारे अंदर कई सारी अच्छी बुरी आदतों का समावेश होता है। ऐसे में हमें बुरी आदतों को पहचानते हुए उसे बाहर निकालना होगा और अच्छी आदतों को भी समाहित करना होगा।

अपने अंदर से स्मोकिंग, ड्रिंकिंग जैसी आदतों को दूर करना होगा और ऐसी आदतें जो हमारे लिए भी अच्छी नहीं है उनसे तौबा कर लेना उचित होगा| ऐसे में हमेशा खुद के व्यक्तित्व पर  ध्यान  देना सही होगा ताकि सही तरीके से आगे बढ़ा जा सके।

7. अपने विचारों पर काबू करें

कई सारे विचार ऐसे होते हैं, जो हमारे मन के ऊपर हावी हो जाते हैं और इस वजह से हम सही तरीके से अपने विचारों को लोगों के सामने जाहिर नहीं कर पाते।

ऐसे में अगर अपने मन से ऐसे विचारों को बाहर निकाला जाए, तो यह आपके लिए अच्छा होगा क्योंकि ऐसे बुरे विचार आपके लिए सही नहीं होंगे और आपके मन को कभी भी शुद्ध नहीं कर पाएंगे।

8. अच्छी संगत का ख्याल रखें

अपने मन को पवित्र रखने के लिए एक बात हमेशा याद रखें कि अच्छी संगत इस मामले में अच्छी भूमिका निभाती है। जब-जब हमारे पास अच्छी संगत होती है तब हम मन को पवित्र रख सकते हैं क्योंकि अच्छी संगत के होने पर हमें अच्छी अच्छी बातों का ज्ञान होता है और इस वजह से हम खुद का ध्यान कर पाते हैं। 

जब भी दोस्ती बढ़ाई जाए या फिर जब भी अच्छे लोगों से मुलाकात की जाए तो एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि ऐसे लोगों का चुनाव करना चाहिए जिनके माध्यम से निश्चित रूप से फायदा हो और आप सही तरीके से अपने मन को पवित्र रख सके।

मन को पवित्र करने का मंत्र

शास्त्रों के अनुसार वर्णित ‘’स्नान मंत्र’ है।

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:।।

इस मंत्र का अर्थ है – कोई भी मनुष्य जो पवित्र हो, अपवित्र हो या किसी भी स्थिति को प्राप्त क्यों न हो, जो भगवान पुण्डरीकाक्ष का स्मरण करता है, वह बाहर-भीतर से पवित्र हो जाता है।

मन को पवित्र ना रखने की हानि 

अगर आप अपने मन को पवित्र नहीं रखते हैं इसके माध्यम से आपको ही कई प्रकार का नुकसान उठाना पड़ सकता है, जो भविष्य में आपके लिए सही साबित नहीं होगा। ऐसे में अगर आपने अपने मन को पवित्र ना रखा हो तो आपको कई प्रकार की हानि का सामना करना पड़ सकता है।

  1. अगर आपने अपने मन को पवित्र नहीं रखा हो तो आपके ऊपर मानसिक दबाव आ सकता है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि अपवित्र मन कभी भी सही तरीके से दिशा का निर्धारण नहीं कर पाता है।

  2. मन के पवित्र ना होने पर निश्चित रूप से आपके अंदर नकारात्मक ऊर्जा का आभास हो सकता है। 

  3. ऐसी स्थिति में किसी भी काम में मन नहीं लगता और पूरा दिन सही तरीके से व्यतीत नहीं हो पाता। 

  4. यदि मन को पवित्र नहीं रखा जाएगा, तो निश्चित रूप से आर्थिक हानि का सामना करना पड़ सकता है। 

  5. ऐसा करने से आप के स्वभाव में बदलाव आता है, जिसकी वजह से परेशानी का सामना करना पड़ता है। 

पवित्र मन के लिए दूसरों को प्रेरित किया जा सकता है 

जी हां अगर आप आंतरिक रूप से स्वयं पवित्र हो चुके हैं और अब आपको इस पवित्रता से मिलने वाले खुशी को दूसरों के साथ बांटना है तो यही विचार आप दूसरों तक पहुंचा कर दूसरों को भी अपना मन पवित्र करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

 आजकल सोशल मीडिया अपने विचारों को लोगों तक साझा करने के लिए बेहतरीन प्लेटफॉर्म बन चुका है अतः ऐसे में आप अगर लोगों के साथ अपना अनुभव साझा करते हैं। 

और उन्हें भी कुछ ऐसे तरीके बताते हैं जिनसे मन में पवित्रता आती है और प्रेम की भावना विकसित होती है तो आप लोगों का भी भला कर सकते हैं इससे आपकी खुशी दुगनी हो जाएगी और समाज का भी भला होगा।

जीवन के हर मोड़ पर खुद को पवित्र किया जा सकता है

जब भी हम मन के पवित्र होने की बात करते हैं तो हमेशा उम्र  की बात किया करते हैं ऐसे में एक बात हमेशा याद रखना होगा कि चाहे आप ही कोई भी उम्र हो या फिर आप जीवन के किसी भी मोड़ पर हैं आप निश्चित रूप से खुद के मन को पवित्र रख सकते हैं और खुद का ध्यान रख सकते हैं।

कई बार उम्र के ज्यादा होने पर पवित्र मन की बात की जाती है और कई बार ऐसा नहीं होता है। पवित्र मन हमेशा एक नई सोच को जन्म देती है। एक बात पर हमेशा गौर करें कि कभी भी पवित्र मन को अपनाने में देर ना करें और जीवन के किसी भी मोड़ पर इस परिवर्तन को लाने में देर ना करें।

घर के बच्चों को भी पवित्र मन की भाषा सिखाए 

जैसा कि हम सभी को पता है कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं। ऐसे में अगर आप अपने घर के बच्चों को भी इस विषय पर समझाएं तो निश्चित रूप से उनका भविष्य बेहतर होता है। कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चों का स्वभाव पवित्र मन की परिभाषा के विपरीत होने लगता है। 

ऐसे में  मुख्य बातों का ध्यान रखते हुए आगे बढ़ा जा सकता है और बच्चे को बचपन से ही पवित्र मन के बारे में उचित जानकारी दी जा सकती है।

यह भी हो सकता है कि आप को बच्चों के साथ ज्यादा मेहनत करना पड़े लेकिन अगर आप मेहनत करने से पीछे हटेंगे तो बच्चों को सही तरीके से  वह संस्कार  नहीं दिए जा सकेंगे जो पवित्र मन के लिए आवश्यक है| 

ऐसे में हमेशा हर बात पर ध्यान देना होगा जिसके माध्यम से बच्चों को सही तरीके से परिपक्व किया जा सके।

पवित्र मन जीवन का सार है  

एक बात हमेशा याद रखना होगा इंसान के जीवन का सार पवित्र मन से ही होता है जिसके माध्यम से आप सही तरीके से जीवन को आगे बढ़ा सकते हैं और जीवन की दिशा को निर्धारित किया जा सकता है।

अगर जीवन को सही रास्ते पर ले जाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपके पवित्र मन की आवश्यकता होती है ताकि बुरे विचारों में बदलाव लाया जा  सके और एक अच्छी सोच एवम जिंदगी का निर्माण किया जा सके।

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