पादप कोशिका क्या है इसका चित्र और मुख्य भाग

इस आर्टिकल में आप पादप कोशिका को चित्र सही जानेगे।

पादप कोशिका किसे कहते है

जीव जन्तुओ के अलावा पेड़ पौधे में भी विकाश के लिए कोशिकाएँ होती है जिन्हे पादप कोशिका कहते है। यह कोशिका जंतु कोशिका से भिन्न होती है। जिस तरह जंतु कोशिका के बाहरी आवरण को प्लाज्मा झिल्ली कहते है उसी प्रकार पादप कोशिका के बाहरी आवरण को कोशिका भित्ति कहते है यह सेल्यूलोज की बनी होती है।

पादप कोशिका का चित्र 

पादप कोशिका किसे कहते है

पादप कोशिका को तीन भागो में बाँटा गया है जो निम्नानुसार है -

1. कोशिका भित्ति 
2. जीव द्रव्य
3. रसधानिया रिक्तिका

1. कोशिका भित्ति

पादप कोशिका को चारो ओर से घेरे हुए आवरण को कोशिका भित्ति कहते है, यह भित्ति पादप कोशिका का एक निर्जीव भाग है जो सेल्यूलोज का बना होता है कोशिका भित्ति का निर्माण कोशिका का द्रव्य और उससे स्त्रावित पदार्थो द्वारा होता है।

कोशिका भित्ति का निर्माण चार चरणों में पूर्ण होता है जिसमे गॉल्जी उपकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

1. प्रथम पटल - इसको प्राथमिक कोशिका भित्ति के नाम से भी जाना जाता है, यह सेल्यूलोज की बनी होती है।

2. द्वितीय पटल - द्वितीय कोशिका भित्ति का निर्माण सेल्यूलोज और लिग्निन से होता है ,यह मोटा और प्रथम पटल की भीतरी सतह पर पाया जाता है।

3. तृतीय पटल - तृतीय पटल को जीव द्रव्य के नाम से जाना जाता है, इसका निर्माण प्रोटोप्लाज्म से होता है। जिसमे जगह-जगह पर पाये जाने वाले छोटे-छोटे छिद्रो की सहायता से कोशिका एक दूसरे से जुड़ी रहती है, और इन्ही छिद्रो के द्वारा कोशिकाओं के बीच खाद्य पदार्थो का परिवहन होता है, इन छिद्रो को जीवद्रव्य तंतु कहा जाता है।

4. मध्य पटल - कोशिका भित्ति का यह पटल पेक्टिन और कार्बोहाइड्रेट से मिलकर बना होता है, जिसका मुख्य कार्य दो कोशिका भित्ति को आपस में जोड़ना होता है।

2. जीव द्रव्य -

कोशिका से घिरे कोशिका के भीतर के सम्पूर्ण जीवित पदार्थ को जीव द्रव्य कहा जाता है।

जीवद्रव्य के दो भाग होते है जो निम्न है -

(a) कोशिका द्रव्य 

(b) केन्द्रक 

(a) कोशिका द्रव्य को पुनः तीन भागो में बाँटा गया 

  1. जीव द्रव्य कला
  2. रिक्तिका कला
  3. कोशिका कला

(b) केन्द्रक को भी पुनः बाँटा गया

  1. केन्द्रक कला
  2. केन्द्रक द्रव्य
  3. केन्द्रिका
  4. क्रोमैटिन धागे

3. रसधानिया या रिक्तिका

पादप कोशिका के कोशिका द्रव्य में अनेक रिक्त स्थान पाये जाते है, इन रिक्त स्थान को ही रसधानिया या रिक्तिका कहते है। रिक्तिका के चारो और एक झिल्ली होती है जिसे रिक्तिका कला कहते है।

रिक्तिका के कार्य -

1. कोशिका रस को स्फीत बनाये रखता है।
2. रिक्तिका जल भोजन अन्य पदार्थो का भण्डार  करना।
3. इसमें पाये जाने वाले एंथोसाइनिन जैसे पदार्थ से फूलो के रंग लाल और नीले होना। 

Enjoyed this article? Stay informed by joining our newsletter!

Comments

You must be logged in to post a comment.

About Author