रसायन विज्ञान से जुडी परिभाषाए एवं शब्दावली

एंटीबॉडी (Antibodies) - शरीर में फैले जीवाणुओं एवं उनके विष को मारने हेतु शरीर स्वयं एक रस बनाता है. जिसे एंटीबॉडी कहते है।  यह रोगो की रोकथाम करता है। 

एंटीजन (Antigen) - उन बाहरी या विदेशी पदार्थो को जिससे मानव स्वास्थ पर दुष्प्रभाव पड़ता है तथा जिन पर एंटीबॉडी क्रिया करते है, एंटीजन कहलाते है। 

विषाणु (Virus) - ये सजीव एवं निर्जीव इ मध्य की योजक कड़ी है। ये विभिन्न प्रकार के रोग फैलाते है।  जैसे चेचक, खसरा आदि। 

जीवाणु (Bacteria) - ये एककोशिकीय प्रोकैरियोटिक जीव है।  इनकी कोशिकाओं में DNA व RNA दोनों ही पाए जाते है।  कुछ जीवाणु भूमि में सड़े गले पदार्थो का विघटन करते है व पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करते है। 

एंटीसेप्टिक (Antiseptic) - घाव को सड़ने से बचाने वाले रसायनो को एंटीसेप्टिक कहते है।  जैसे - ईथर, स्प्रिट, डिटोल। 

एंटीबायोटिक (Antibiotic) - शरीर में रोगोत्पादक जीवाणुओं को नष्ट करने वाली औषधियों को एंटीबॉयोटिक कहते है।  जैसे -टेरामाइसीन पेनीसिलीन आदि। 

ब्लड-प्रेशर (Blood Pressure) - रक्त जितनी तीव्रता या दाब के साथ ह्रदय से धमनियों में प्रवाहित होता है, उसे रक्त दाब कहते है।  रक्त दाब का मापन स्फिग्मोमैनोमीटर द्वारा किया जाता है एक प्रौढ़ में प्रकुंचन 100-140 मिमी तथा अनुशिथिलन 55-80 मिमी। मर्करी दाब के बराबर होता है। 

एक्यूपंक्चर (Acupuncture) शरीर के दर्द को दूर करने की यह प्राचीनतम चीनी विधि है।  शरीर में 500 संवेदनशील स्थान है, जहां सुई से ऑपरेशन किया जाता है। 

अदिश राशियां (Scalar Quantities) :- ऐसी राशियाँ जिन्हे व्यक्त करते के लिए केवल परिमाण की आवश्यकता होती है, अदिश राशियाँ कहलाती है।  उदाहरण - द्रव्यमान, ताप, आवेश विभव समय, ऊर्जा इत्यादि। 

सदिश राशियाँ (Vector Quantities) :- ऐसी राशियाँ जिन्हे व्यक्त करने के लिए परिमाण एवं दिशा दोनों आवश्यक होते है, अदिश राशियाँ कहलाती है 

उदाहरण - वेग, त्वरण, बल. इत्यादि।

गति (Motion) - जब किसी वस्तु का स्थान, समय के साथ परिवर्तित होता है, तो वह परिवर्तन गति कहलाता है तथा उस वस्तु को गतिशील वस्तु कहते है। 

रेखीय गति ( Linear Motion) :- जब को वस्तु किसी सरल या वर्क रेखा पर गतिमान हो, तो इस प्रकार की गति को रेखीय गति कहते है। उदाहरण - बन्दुक से निकली गोली की गति, रेल की गति आदि। 

वृत्तीय गति (Circular Motion) :- जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार पथ पर गतिमान हो तो इस प्रकार की गति को वृत्तीय गति कहते है। 

 उदाहरण - डोरी के एक सिरे पर पत्थर बांधकर घुमाना। 

अनियमित गति (Random Motion) :- जब कोई वस्तु अपनी गति की दिशा अनियमित रूपस से बदलती रहती है, तो इस प्रकार की गति को अनियमित गति। जैसे - बस, कार, मानव की गति। 

घूर्णन गति (Rotational Motion) :- जब कोई दृढ़ पिंड किसी घूर्णन अक्ष के परितः घूमता है, तो इस प्रकार की गति को घूर्णन गति कहते है। 

उदाहरण - गाड़ी के पहिये की गति। 

दोलन गति (Oscillatory Motion) -जब कोई कण या वस्तु किसी निश्चित समयांतराल में दोहराती है, तो इस प्रकार की गति को दोलन गति कहते है। उदाहरण -दीवार घड़ी के लोलक की गति। 

जड़त्व (Inertia)- बिना बल लगाए किसी वस्तु की अपने आप गति परिवर्तन नहीं करने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते है।

स्वतंत्र अवस्था में एक समान गति के लिए किसी बल की आवश्यकता नहीं होती है।

चाल (Speed) - किसी वस्तु द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी को उस वस्तु की चाल कहते है।  इसकी मात्रक मीटर प्रति सेकंड या किसी/घंटा होता है, तथा यह एक अदिश राशि है। 

वेग (Velocity) - किसी वस्तु द्वारा एकांक समय में निश्चित दिशा में तय की गई दुरी (विस्थापन की दर) को वेग(Velocity) कहते है। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकंड या किमी/घंटा है,तथा यह एक सदिश राशि है। 

त्वरण (Acceleration) - किसी वस्तु के वेग में प्रति सेकंड होने वाला परिवर्तन त्वरण कहलाता है। 

आसंजक बल (Adhesive Force) विभिन्न अणुओ के बीच लगने वाले आकर्षण बल को आसंजक बल कहते है।  उदाहरण - कांच एवं जल के अणुओ के बीच, कागज पर पेन्सिल से लिखना। 

ससंजक बल (Cohesive Force) - एक ही द्रव्य के दो अणुओ के बीच लगने वाले आकर्षण बल को ससंजक बल कहते है।  उदाहरण - पानी के दो अणुओ के बीच आकर्षण या कांच के दो अणुओ के बीच आकर्षण। 

भार (Weight) किसी पिंड पर लगने वाले पृथ्वी के गुरुत्वीय बल को उस वस्तु का भार कहा जाता है भार एक सदिश राशि है।  इसकी इकाई न्यूटन है। 

अर्थात भार = मात्रा X गुरुत्वीय बल 

पृष्ट-तनाव (Surface Tension) -द्रवों के उस गुण को जिसके कारण वह सिकुड़कर अपने मुक्त पृष्ट का क्षेत्रफल न्यूनतम बनाए रखने की प्रवृत्ति रखता है, पृष्ठ-तनाव कहलाता है। 

उष्मा (Heat) ऊष्मा ऊर्जा एक रूप है जिसके कारण हमें गरमाहट का अनुभव होता है. इसका मात्रक जूल तथा कैलोरी है इसे मापने वाले यंत्र को कैलोरी मीटर कहते है। 

ताप (Temperature) - ऊष्मा के प्रवाह की दिशा को प्रदर्शित करने के लिए जिस मूल राशि की आवश्यकता होती है उसे ही ताप कहते है।  इसका S.I. मात्रक केल्विन है तथा इसे डिग्री सेल्सियस में भी मापा जाता है।

चालन (Conduction) - ऊष्मा के संचरण की उस विधि को जिसमे उष्मा के कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक अपने स्थान का परित्याग किए बिना ही पहुंच जाते है, चालन कहते है। 

उदाहरण : जब धातु के एक सिरे को गर्म करते है तो उसका दूसरा सिरा भी गर्म हो जाता है। 

संवहन (Convection) - ऊष्मा के संचरण की उस विधि को जिसमे माध्यम के कण अपने स्थान को छोड़कर स्वयं दूसरे स्थान तक जाते है तथा दूसरे कण उनके स्थान पर आ जाते है, संवहन कहते है।  

उदाहरण :- द्रव एवं गैसीय पदार्थो में ऊष्मा का संचरण। 

विकिरण (Radiation) - विकिरण में ऊष्मा बिना किसी माध्यम के एक स्थान से दूसरे स्थान पर विधुत-चुबंकीय तंरगों के रूप में चली जाती है।  उदाहरण :- सूर्य की गर्मी विकिरण द्वारा ही पृथ्वी तक पहुँचती है। 

आवृत्ति (Frequency) माध्यम के किसी कण द्वारा एक सेकंड में पूरे किये गए कम्पनों की संख्या को तंरग की आवृत्ति कहा जाता है। 

इसे कम्पनों की संख्या को तरंग की आवृत्ति कहा जाता है। इसे n,f या v (न्यू) से सूचित किया जाता है तथा इसका S.I. मात्रक हर्ट्ज है। 

तंरग दैध्र्य के बराबर होगी।  इसे प्रायः लैम्ब्डा से सूचित करते है।  इसका S.I> मात्रक मीटर(M) है। 

प्रतिध्वनि (Echo) - पहाड़ कूप, भवन आदि विस्तृत और दूरस्थ सतहों से टकराकर परावर्तित होने वाली ध्वनि की जो पुनरावृत्ति सुनाई पड़ती है, उसे प्रतिध्वनि कहते है।  मनुष्य के कान पर धनी का प्रभाव एक सेकंड के दसवे भाग तक रहता है। स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनाई पड़ने के लिए ध्वनि का परावर्तन करने वाली सतह को श्रोता से कम से कम 16.5 मीटर की दुरी पर होना चाहिए। 

 

 

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