दाँत की जानकारी | सूत्र, संख्या और संरचना

इस पोस्ट में आप दांत से संबंधित जानकारी पढ़ेंगे और जानेगे मानव दांत कितने प्रकार के होते है।

दांत कशेरुक प्राणियों के मुँह में छोटे छोटे सफेद रंग के कैल्सियम के बने होते है जो खाद्य को चीरने फाड़ने और काटने के काम आते है।

चलिए जानते है दांत क्या है इनकी संख्या और संरचना कैसी होती है।

दाँत ( Teeth )

दांतो का विकास मुखगुहा जबड़ो के किनारे उपस्तिथ गड्ढो में उपस्तिथ श्लेष्मिक झिल्ली के ओसिफिकेशन के परिणामस्वरूप होता है।

मनुष्य एवं अन्य स्तनधारी प्राणियों के प्रमुख लक्षण निम्नुसार होते है - 

(I) मनुष्य के दांत गर्तदंती द्विबारदंती तथा विषमदन्ती अर्थात कई प्रकार, आकार, आमाप एवं संरचना वाले होते है तथा ये जबड़े की अस्तिथयो के अंदर गड्ढे में स्तिथ होते है।

(II) मानव जीवन में दाँत दो बार उगते हैं तथा यह चार प्रकार के होते है।

(III) मनुष्य के प्रत्येक जबड़े में 16 तथा कुल 32 दाँत होते है जबड़े के आधे दाँत दायीं तथा आधे बायीं तरफ होते है।  प्रत्येक पार्श्व में दो कृतंक, एक रदनक अग्रचवर्णक तथा तीन चवर्णक पाये जाते है। कृतंक सबसे आगे तथा चपटे व् धारदार होते है। ये भोजन को काटते है। 

रदनक नुकीले होते है जो कठोर भोजन को फाड़ने में मदद करते है। अग्रचवर्णक तथा चवर्णक चौड़े और मजबूत होते है और भोजन को चबाने का काम करते है।

मनुष्य के अंतिम मोलर दाँतों को बुद्धि वाले दाँत कहते है जो की मनुष्य में अवशेषी अंग के रूप मे पाये जाते है।

दाँतों की संख्या ( Number of teeth ) -

प्रारंभ में बच्चो में कुल 10 जोड़ी दूध के दाँत ( प्रत्येक जबड़े में 10 दाँत ) होते है दूध के दाँत 6 माह की आयु में निकलते है जो की 6 से 13 वर्ष की आयु में नए दाँत के द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते है तथा उनके स्थान पर 24 वर्ष की उम्र तक 32 दाँत निकल आते है।

अगर किसी जंतु के सम्पूर्ण दांतों को सूत्र के रूप में व्यक्त करे तो इस सूत्र को दन्त सूत्र कहते है।

इस सूत्र में ऊपर के दाँत ऊपर तथा नीचे के दाँत निचले जबड़े को व्यक्त करते है, चूँकि मनुष्य में दो बार दाँत उगते हैं और दोनों की प्रकृति भी अलग अलग होती है इस कारण इसके दन्त सूत्र भी दो होते है।

शैशव या बाल्य अवस्था के दांतों को दूध के दाँत तथा वयस्क अवस्था के दांतों को स्थायी दाँत कहते है

दन्त सूत्र (Dental formula)

दाँत

दाँतों की संरचना ( Structure of teeth )

दाँत

रचना के अनुसार दाँत तीन भागों-ऊपरी भाग शिखर मध्य भाग, जो मसूड़ों के बीच स्तिथ होता है ग्रीवा तथा निचला भाग जबड़े की अस्थि के गड्ढे में स्थित होता है मूल का बना होता है।

कृतंक तथा रदनक में एक एक अगरचवर्नक में दो तथा चवर्नक में तीन मूल होते हैं। दाँत के बीच में मज्जगुः के चारों तरह एक अस्थिल स्तर होती है जिसे डेन्टाइन कहते है।

दाँतों के शिखर पर एक चमकीले आवरण के रूप में इनैमेल स्तर पायी जाते है।

दाँत की ग्रीवा तथा जड़ के ऊपर सीमेंट नामक एक कठोर आवरण होता है दाँत के मूल के चारों तरफ दन्तावरण नामक झिल्ली होती है जो दाँत के कठोर भाग तथा मुखगुहा की म्यूकस झिल्ली को जोड़ती है।  दाँत भोजन को चबाने का कार्य करता है।

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