नाइट्रोजन चक्र
वायुमंडल में लगभग 78% नाइट्रोजन है, जो पौधों को सीधे प्राप्त नहीं होती है। नाइट्रोजन चक्र के चार मुख्य चरण निम्नलिखित है।
(I) नाइट्रोजन स्थितिकरण (Nitrogen cycle)
वायुमंडल की मुक्त नाइट्रोजन अजैविक व जैविक विधियों द्वारा अपने यौगिकों में बदल जाती है।
अजैविक नाइट्रोजन स्थतिकरण बदलो में बिजली के चमकने से होता है।
N2+O2→2NO
2NO+O2→2NO2
2NO2 +O2→N2O5N2O5+H2O→2HNO3
जैविक नाइट्रोजन स्थितिकरण सजीवों की उपस्तिथि में होता है जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण दो प्रकार से होता है।
(a) असहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Asymbiotic nitrogen fixation)
यह मृदा में स्वतंत्र रूप से पाए जाने वाले अवायवीयजीवाणु, जैसे -क्लोस्ट्रिडियम, वायवीय जीवाणु जैसे -एजोटोबैक्टर, बिंबीजेरेन्किया व् स्वतंत्र नीले हरे शैवाल जैसे - नॉस्टॉक, एनाबीना आदि के द्वारा होता है।
(b) सहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Symbiotic nitrogen fixation) राइजोबियम लेग्यूमिनोसेरम नामक जीवाणु लेग्यूमिनोसी कुल के पौधों की जड़ में प्रवेश कर ग्रन्थिकाए बनाता है। ग्रंथिका में लाल वर्णक लेगहिमोग्लोबिन पाया जाता है, जो नाइट्रोजन स्थिरीकरण के लिए आवश्यक है। नाइट्रोजीनेस एंजाइम नाइट्रोजन को अमोनियम यौगिकों में अपचयित करने की क्षमता रखता है।
जैविक नाइट्रोजन स्थिरकरण की विधि (Process of biological nitrogen fixation)
इस क्रिया के द्वारान हाइद्रोजन के परमाणु नाइट्रोजन के अणुओ को अपचयित करते है जिसके फलस्वरूप N2
के अनु में उपस्थित त्रिबंध टूट जाता है तथा अमोनिया का निर्माण होता है उपयुक्त अभिक्रिया के लिए नाइट्रोजन एंजाइम, ATPतथा तीव्र अपचयी कारक की आवश्यकता पड़ती है. अमोनिया का प्रयोग अमीनो अम्ल के निर्माण में किया जाता है। ये अमीनो अम्ल फ्लोएम कोशिकाओं द्वारा पौधे के अभी भागों में पहुंचाए जाते है। अमोनिया स्वंय विषैली होती है, अतः यह पौधों के लिए हानिकारक होती है नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु इसे NH4+ आयनों में परिवर्तित कर देते है।
पुष्पी पादपNO3- (नाइट्रेट) आयनो का अवशोषण करते है नाइट्रोसोमोनास अथवा नाइट्रिसिकोकस नामक जीवाणु अमोनिया (NH4+)
आयनो का ऑक्सीकरण करके उन्हें नाइट्राइट (NO2-) आयन में परिवर्तित कर देते है। फिर नाइट्रोबैक्टर नामक जीवाणु इनको नाइट्रेट (NO3-) पौधों की जड़ो द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।
(II) अमोनीकरण (Ammonification)
जीवाणु, जैसे बैसिलस डेमोस, बै. वल्गेरिस तथा बै. मैकोईडर्स, द्वारा पौधों तथा जन्तुओ के मर्त शरीर की प्रतिन से अमोनिया बनाने की क्रिया अमोनीकरण कहलाती है।
(III) नाइट्रीकरण (Nitrification)
नाइट्रोसोमोनास नाइट्रोबैक्टर आदि जीवाणुओं द्वारा अमोनिया के नाइट्रेट में बदलने की क्रिया को नाइट्रीकरण कहते है।
(IV) विनाइट्रीकरण (Denitrification)
कुछ जीवाणु, जैसे - थायोबैसिलस दिनाईट्रिफिकेन्स, माइक्रोकोकस दिनाईट्रिफिकेन्स, स्यूडोमोनास आदि नाइट्रोजन व् अमोनियम यौगिक को नाइट्रोजन में परिवर्तित कर देते है .
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