नेफ्रॉन की रचना एवं प्रकार

प्रत्येक वृक्क अनेक वृक्क नलिकाओं का बना होता है। प्रत्येक वृक्काणु या नेफ्रॉन या वृक्क नलिका बोमेन सम्फुट, ग्रीवा, समीपस्थ कुंडलित नलिका हेनले लूप, दूरस्थ कुण्डलित नलिका से मिलकर बनता है।

वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना -

वृक्क में अनेक आधारी निसयंदन एकक होते है, जिन्हें वृक्काणु (नेफ्रॉन) कहते है।  इन्हे बहुत पतली भित्ति वाली रूधिर केशिकाओं का गुच्छ (ग्लोमेरूलस) होता है जो एक नलिका के कप के आकार के सिरे के अंदर होता है जिसे बोमन सम्पुट कहते है।

वृक्काणु (नेफ्रॉन) की क्रियाविधि -

वृक्काणु की नलिका केशिका गुच्छ से छने हुए मूत्र जिसमे यूरिया, यूरिक अम्ल आदि होते है, को एकत्रित कर लेती है।  इस प्रारम्भिक निस्यंद में कुछ उपयोगी पदार्थ ग्लूकोज अमीनो अम्ल, लवण और प्रचुर मात्रा में जल रह जाते है।  नलिका में मूत्र जैसे- जैसे आगे बढ़ता है इन पदार्थो का चयनित पुनरावशोषण हो जाता है। यह मूत्र प्रत्येक वृक्काणु नलिका से संग्राहक मूत्र वाहिनी में एकत्रित होता है जहाँ से मूत्राशय में जाकर एकत्रित हो जाता है।

नेफ्रॉन के प्रकार (Types of Nephron) -

नेफ्रॉन दो प्रकार के होते है।

(a) वल्कीय नेफ्रॉन (Cortical Nephron ) जिन नेफ्रॉन के मैल्पीघी सम्पुट दूर वल्कीय भाग में स्थित रहते है उन्हें वल्कीय या कॉर्टिकलनेफ्रॉन कहते है। इन्हे हेनले लूप छोटी होती है। पंद्रह से 35% नेफ्रॉन वल्कीय नेफ्रॉन होते है।

(b) जक्स्टा मेड्यूलरी नेफ्रॉन (Juxtamedullary nephron) जिन नेफ्रॉन के मैल्पीघी सम्पुट मेड्यूलरी भाग के पास स्थित होते है, उन्हें मध्यांश आसान वृक्काणु या जक्स्टा मेड्यूलरी नेफ्रॉन कहते है।  इनमे लम्बी हेनले लूप पाई जाती है। लूप के समांतर रूधिर वाहिनियाँ उपस्थित होती है, जिन्हे वासा रेक्टि कहते है 65-85 % नेफ्रॉन जक्स्टा मेड्यूलरी नेफ्रॉन होते है 

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