गतिज ऊर्जा - किसी वस्तु में उसकी गति के कारण कार्य करने की जो क्षमता होती है उसको गतिज ऊर्जा कहते है। इसका S.I. मात्रक जूल होता है।
गतिज ऊर्जा, K.E. = 1/2 mv2
उदाहरण - एक गतिमान गेंद, स्थिर गेंद से टक्कर मानकर उसमें विस्थापन उतपन्न कर देती है। अतः गतिमान गेंद में कार्य करने की क्षमता है।
गतिज ऊर्जा का व्यंजक
मान लीजिए की वस्तु का द्रव्यमान m है। इस वस्तु पर बल F लगाने पर वस्तु में त्वरण a उतपन्न हो जाता है, तो न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से,
F= m.a ....(1)
यह बल वस्तु में बल की दिशा में S विस्थापन उतपन्न कर देता है, तो बल द्वारा वस्तु पर सम्पन्न कार्य
W = F.s ....(2)
W = mas [ समी. (1) एवं (2) से ] ....(3)
माना की वस्तु का आरम्भिक वेग u है तथा इस पर F बल आरोपित किए जाने पर यह v हो जाता है।तब गति के तृतीय नियमानुसार,
V 2 = u2 + 2as
2as = v2 - u 2
as = v 2 - u2 / 2
W = m (v 2 - u 2/ 2 )
W = m 1/2 mv2-/1/2mu 2
यदि वस्तु विरामावस्था से गति आरम्भ करती है, अर्थात u = 0 तब,
W = 1/2 mv 2 - 1/2 m (0)2
W = 1/2 mv2 - 0 = 1/2 mv 2
वस्तु पर किया गया कार्य ही उसकी गतिज ऊर्जा होती है।
अतः गतिज ऊर्जा E k = 1/2 mv2
यही अभीष्ट व्यंजक है।
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