पौधों में जीवन च्रक

पौधों में जीवन च्रक (Life Cycle in Plants)

जीवन च्रक वह क्रिया है, जो एक जीव से प्रारम्भ होती है तथा समान जीवों की नई पीढ़ी आने तक चलती है। विकसित होते समय एक शैवाल विभिन्न विशेष अवस्था से गुजरता है। युग्मनज के व्यवहार के कारण पौधों में अनेक भिन्नताएँ पाई जाती है। जिन पौधों में लिंगी प्रजनन होता है, उनमे कई प्रकार के जीवन च्रक पाए जाते है। जीवन चक्र के विभिन्न प्रकारों को समझाने के लिए निम्न बातों का ज्ञान आवश्यक है 

(I) विभिन्न आकारिकी अवस्थाओं का क्रम, जो जीवन च्रक होने में लगातार दिखाई देती है।

(II) अर्द्धसूत्री विभाजन का स्थान (यदि उपस्थति है) जीवन चक्र संयुक्त रूप से आकारिकी तथा कोशिकीय अवस्थाओं द्वारा निर्धारित होता है।

कोशिकीय आधार पर पौधों के जीवन चक्र निम्नलिखित तीन आधारभूत प्रकारके होते है।

(I) अगुनितक (Haplontic type) - जब पादप शरीर की प्रमुख आकारिकीय अवस्था अगुणित (haploid) होती है तथा द्विगुणित अवस्था केवल युग्मनज के रूप में उपस्थित होती है।

(II) द्विगुणितक (Diplontic type) - जब पादप शरीर की प्रमुख्य ाकारिकीय अवस्था द्विगुणित होती है तथा अगुणित अवस्था युग्मक द्वारा (gametes) प्रदर्शित होती है। द्विगुणित पौधे पर उपस्थित युग्मकधानी में अर्धसूत्री विभाजन द्वारा युग्मक का निर्माण होता है। 

(III) अगुनितागुणित (Haplo-diplontic type) - जब पादप शरीर की ाकारिकीय अवस्थाएँ दो, एक अगुणित तथा दूसरी द्विगुणित होती है। ये दोनों अवस्थाएँ एक दूसरे के बाद आती है तथा द्विगुणित अवस्था के बीजाणु में अर्द्धसूत्री विभाजन होती है।

अगुनितगुणित जीवन च्रक में समआकारीय अथवा विषम-आकारीय अवस्थाएँ हो सकती है विषम आकारीय प्रकार में अगुणित अथवा द्विगुणित अवस्था में कोई भी अवस्था एक दूसरी से अधिक विकसित हो सकती है अथवा दोनों समान रूप से विकसित हो सकती है लेकिन इनकी आकारिकीय समान रूप से विकसित हो सकती है लेकिन इनकी आकारिकीय अलग- अगल होती है।

इन तीनों प्रकार  जीवन चक्रों में अगुणित अथवा द्वितीयक अवस्था बदलाव आ जाते है, विशेष रूप से रोडोफाइसी के सदस्यों में।

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