ऊतक क्या है, ऊतक कितने प्रकार और कार्य

इस आर्टिकल में आप ऊतक से संबंधित जानकारी पढ़ेंगे।

ऊतक किसे कहते है

किसी जीव के शरीर में उपस्थित कोशिकाओं के शरीर को समूह को ऊतक कहते है, सभी ऊतक की उत्पत्ति संरचना और कार्य एक समान होते है। यही ऊतक मिलकर शरीर का निर्माण करते है।

ऊतक के प्रकार

ऊतक दो प्रकार के होते है जो निम्न है -

1. जंतु ऊतक

ऊतक किसे कहते है ऊतक के प्रकार

जंतु ऊतक मुख्यः पांच प्रकार होते है -

1. उपकला ऊतक - यह ऊतक हमारे शरीर के आंतरिक और बाह्य अंगो को ढकता है, रुधीरबाहिकाओ के अंदर भी इसी तरह के ऊतक पाए जाते है जिन्हे अंतःस्तर कहते है, यह ऊतक कुछ स्त्रावित ग्रंथियों जैसे, दुग्ध ग्रंथि, स्वेद ग्रंथि और पसीने के ग्रंथि में भी पाये जाते है।

उपकला ऊतक के प्रकार -

(a)साधारण 
(bस्तंभाकार 
(d)स्तरित 
(e)परिवर्तनशील 
(f)रंजककणकित 

2. संयोजी ऊतक - संयोजी ऊतक एक अंग को दूसरे अंग से जोड़ने का कार्य करता है इसके अंतर्गत निम्न ऊतक आते है -

(a)रुधिर ऊतक
(b)अस्थि ऊतक 
(c)लॉस ऊतक
(d)वसा ऊतक

3. पेशी ऊतक - ये मुख्यतः भागों एवं खोखले अंगो की दीवार का निमार्ण करते है इसमें लाल पेशीय तंतु रहते है जो संकुचित होने की शक्ति रखते है।

पेशीय ऊतक शरीर के आंतरिक भाग में पाये जाते है जैसे ह्रदय ऊतक,  यकृत ऊतक और वृक्क ऊतक आदि।

4. तंत्रिका ऊतक - तंत्रिका ऊतक का मुख्य कार्य संवेदनाओ को ग्रहण कर मस्तिष्क तक पहुँचाना है और मस्तिष्क द्वारा दिए गए आदेश को सभी अंगो तक पहुँचाना है यह सारे कार्य तंत्रिका ऊतक में पाए जाने न्यूरान्स के माध्यक से होता है यह न्यूरान्स तंत्रिका ऊतक की इकाई है। 

5. स्केलेरस ऊतक - यह ऊतक शरीर का ढांचा बनाने  करता है इसके अंदर अस्ति और कार्टिलेज आते है जिसमे से कार्टिलेज तीन प्रकार के होते है।

1. हाइलाइन
2. फाइब्रो-कार्टिलेज
3. इलैस्टिक फाइब्रो-कार्टिलेज

2. पादप ऊतक

ऊतक किसे कहते है ऊतक के प्रकार

पादप ऊतक को दो भागो में बाटा गया है जो निम्नानुसार है -

1. विभज्योतकी ऊतक 
2. स्थायी ऊतक

विभज्योतकी ऊतक

जिन ऊतकों की कोशिकाओं में विभाजन करने की क्षमता होती है, उन्हें विभज्योतकी ऊतक कहते है, विभज्योतकी की कोशिकाएँ अत्यधिक क्रियाशील होते है। विभज्योतक या मेरीस्टेमैटिक ऊतकों उन भागों में पाए जाते है जह पादप में वृध्दि होती रहती है जैसे की जड़ और तने में विभज्योतकी को तीन भागो में बाटा गया है। शीर्षस्थ, अंतविर्षट और पार्श्व विभज्योतकी। 

  • शीर्षस्थ विभज्योतकी - यह ऊतक जड़ तथा तने के शीर्ष भाग में उपस्थित होता है, तथा पौधे की लम्बाई में वृद्धि करता है।
  • अंतविर्षट विभज्योतकी - यह ऊतक स्थाई ऊतक के बीच बीच में पाया जाता है, यह टहनी के पर्व और पत्तियों के आधार में पाया जाता है यह ऊतक वृध्दि करके स्थाई ऊतक में परिवर्तित हो जाता है।
  • पार्श्व विभज्योतकी - यह ऊतक जड़ तथा तने के पार्श्व भाग में होते है, यह द्वितीयक वृध्दि भी करता है।

स्थायी ऊतक

विभज्योतकी ऊतक की वृध्दि के फलस्वरूप स्थायी ऊतक का निर्माण होता है, जिसमे विभाजन की क्षमता नहीं होती है इसकी कोशिका का आकार निश्चित होता है यह सभी मृत या सजीव होते है।

संरचना के आधार पर स्थायी ऊतक प्रकार के होते है -

1. सरल स्थायी ऊतक 
2. जटिल स्थायी ऊतक

1. सरल स्थायी ऊतक - ऐसे ऊतक जो एक ही प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने होते है सरल स्थायी ऊतक कहलाते है। यह ऊतक तीन प्रकार के होते है पैरेनाकाइमा, स्क्लेरेनक़ाइमा और कॉलेनकाइमा।

(a) पैरेनकाइमा - पैरेनकाइमा ऊतक पादप के कोमल भागों में पाया जाता है, इन ऊतकों की कोशिका भित्ति पतली होती जिससे इनका आकर अनियमित या गोल होता है। इनकी कोशिकाओं के बीच बीच में खाली स्थान पाया जाता है। यह कोशिकाएँ जीवित और मुक्त बंधक रहती है।

(b) स्क्लेरेनक़ाइमा - स्क्लेरेनक़ाइमा पादप के कठोर भागों जैसे जड़, तने छाल आदि में पाया जाता है यह ऊतक मृत कोशिकाओं का बना होता है।  इनकी कोशिका भित्ति मोटी होती है किस्से लिग्निनि का जमाव होता है, इन में से कुछ कोशिकाओं की भित्ति इतनी मोटी होती है की इनके बीच कोई खाली स्थान नहीं रहता है। स्क्लेरेनक़ाइमा का काम पादप को दृढ़ता प्रदान करना है।

(c) कॉलेनकाइमा - यह ऊतक पादप में लचीलापन और दृढ़ता प्रदान करता है इस ऊतक की कोशिका जीवित रहती है इसकी कोशिकाएँ लम्बी और कोनो पर मोटी होती है  

2. जटिल स्थायी ऊतक - ऐसे ऊतक जिनमे कई प्रकार की कोशिकाएँ होती है उन्हें जटिल स्थाई ऊतक कहते है जटिल स्थायी ऊतक दो प्रकार के होते है जाइलम और फ्लोएम, यही जटिल स्थायी ऊतक मिलकर संवहन बंडल का निर्माण करते है इसलिए इसे संवहन ऊतक भी कहा जाता है।

(a) जाइलम - ट्रैकीड, वाहिकाएँ, जाइलम पैरेनकाइमा और जाइलम फाइबर, जाइलम के अवयव है, जिसमे ट्रैकीड और वाहिका की कोशिका भित्ति मोटी होती है ट्रैकीड और वाहिकाएँ नली के समान होती है जिससे पानी और खनिज संवहन करती है और पैरेनकाइमा भोजन का संग्रहण करता है और जाइलम फाइबर पादप को सहारा देने का कार्य करता है।

(b) फ्लोएम - चालनी कोशिकाएँ, साथी कोशिकाएँ, फ्लोएम पैरेनकाइमा और फ्लोएम रेशे, फ्लोएम के अवयव है चालनी नलिका की कोशिकाएँ नली समान होती है इनकी भित्ति छेद वाली होती है इसमें फ्लोएम का काम भोजन को विभिन्न भागों में पहुंचना।

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