मध्यकालीन भारत
भारत पर मुस्लिम आक्रमण
• भारत पर पहला सफल मुस्लिम आक्रमण मुहम्मद बिन कासिम ने 712 ई. में किया था। उसने सिन्ध एवं मुल्तान को जीत लिया था।
• महमूद गजनवी ने 1001 से 1027 ई. के बीच भारत पर 17 आक्रमण किये। इनमें 1025 ई. में सोमनाथ के शिव मन्दिर पर किया गया आक्रमण सबसे प्रसिद्ध था।
• मुहम्मद गोरी को भारत में तुर्क सत्ता का संस्थापक माना जाता है।
• 1175 ई. में चालुक्य सोलंकी वंश के शासक भीम द्वितीय ने आबू पर्वत के समीप मुहम्मद गोरी को पराजित किया था।
• 1191 ई. के तराईन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के हाथों पराजय के बाद 1192 ई. के तराईन के द्वितीय युद्ध में उसने पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया।
• 1194 ई. में चन्दावर के युद्ध में कन्नौज के गहड़वाल राजा जयचन्द को मुहम्मद गोरी ने पराजित किया।
• 1206 ई. में मुहम्मद गोरी की हत्या गजनी लौटने के क्रम में हो गई।
दिल्ली सल्तनत
गुलाम वंश (1206-1290 ई.)
• गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210 ई.) था।
• कुतुबुद्दीन ऐबक को उसकी उदारता के कारण 'लाखबख्श' (लाखों का दान करने वाला) कहा गया।
• ऐबक ने ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की स्मृति में कुतुबमीनार का निर्माण प्रारम्भ करवाया।
• 1210 ई. में चौगान (पोलो) खेलते समय ऐबक की मृत्यु हो गई।
• इल्तुतमिश (1210-1236 ई.) ने अपने विरोधियों से निबटने के लिए चालीस दासों का एक दल बनाया जिसे 'तुर्कान ए-चहलगानी' कहा गया।
• इल्तुतमिश ने अपने साम्राज्य को छोटे-छोटे क्षेत्रों में बाँट दिया जिसे इक्ता कहा गया, इसका प्रशासक इक्तादार होता था।
• इल्तुतमिश ने कुतुबमीनार के निर्माण को पूरा करवाया।
• इसने अपनी राजधानी लाहौर से दिल्ली स्थानान्तरित की।
• रजिया सुल्तान (1236-1240 ई.) भारत की प्रथम महिला मुस्लिम शासिका थी।
• रजिया ने पहनावे में पर्दे को त्याग कर कुबा (कोट) तथा कुलाह (टोपी) धारण की। उसने भटिण्डा के प्रशासक अल्तूनिया से निकाह किया।
• बलबन (1265-1287 ई.) दिल्ली सल्तलत का प्रथम सुल्तान था
जिसने सुल्तान की प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापना के उद्देश्य से राजत्व सम्बन्धी विचार प्रस्तुत किया।
• बलबन ने फारसी (ईरानी) परम्परा की तर्ज पर 'सिजदा' तथा 'पाबोस' की प्रथा चलाई।
• उसने फारसी परम्परा पर आधारित 'नवरोज' उत्सव की शुरूआत की।
• बलबन ने अपने विरोधियों से निबटने के लिए 'लौह एवं रक्त' की नीति का अनुसरण किया।
खिलजी वंश (1290-1320 ई.)
• खिलजी वंश का संस्थापक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290-1296 ई.) था। उसने अपनी राजधानी दिल्ली के निकट किलोखरी में बनाई।
• जलालुद्दीन फिरोज दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था जिसने राजत्व आधार प्रजा का समर्थन माना।
• अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ई.) का मूल नाम अली गुरशास्प था, उसने सिकन्दर द्वितीय सानी की उपाधि धारण की।
• अलाउद्दीन खिलजी प्रथम मुस्लिम सुल्तान था, जिसने दक्षिण भारत पर आक्रमण किया और उसे अपने अधीन किया।
• उसके सेनानायक मलिक काफूर को दक्षिण विजय का श्रेय दिया जाता है।
• अलाउद्दीन की नीतियों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण 'बाजार नियन्त्रण नीति' थी, जिसका उद्देश्य अपनी विशाल सेना की आवश्यकताओं को पूरा करना था।
• अलाउद्दीन ने इनाम, मिलक तथा वक्फ भूमि को खालसा भूमि में परिवर्तित कर दिया।
• वह प्रथम सुल्तान था जिसने भूमि की माप के आधार पर लगान निर्धारित किया।
• अलाउद्दीन ने सैनिकों की सीधी भर्ती तथा नकद वेतन देने की प्रथा की शुरूआत की। उसने सैनिकों के लिए 'चेहरा' तथा उनके घोड़ों के लिए 'दाग' प्रथा की शुरूआत की।
तुगलक वंश (1320-1413 ई.)
• तुगलक वंश का संस्थापक ग्यासुद्दीन तुगलक (1320-1325 ई.) था।
• ग्यासुद्दीन तुगलक ने नहरों तथा कुओं का निर्माण करवाया तथा डाक-व्यवस्था को संगठित किया।
• मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351 ई.) का मूल नाम जौना खाँ था।
• कुछ इतिहासकारों ने मुहम्मद बिन तुगलक को 'पागल', 'रक्त- पिपासु' कहा है।
• मुहम्मद तुगलक द्वारा चार प्रयोग किये गए, ये राजधानी परिवर्तन, दोआब क्षेत्र में कर वृद्धि, सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन तथा कराचिल एवं खुरासान विजय की योजना थी।
• उसने अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरि) स्थानान्तरित की। पर बाद में पुनः दिल्ली ही राजधानी बनी।
• सांकेतिक मुद्रा के प्रचलन के लिए उसने ताँबे तथा इससे मिश्रित काँसे के सिक्के चलाए थे। पर यह योजना भी कतिपय कारणों से असफल रही।
• पुस्तक का रचयिता मोरक्को का यात्री इब्नबतूता था, जो मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया था।
• मुहम्मद बिन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए एक नवीन कृषि विभाग 'दीवान-ए-अमीर कोही' की स्थापना की।
• फिरोजशाह तुगलक (1351-1388 ई.) अपने कल्याणकारी कार्यों के लिए प्रसिद्ध है।
• फिरोजशाह ने सिंचाई की सुविधा के लिए कई नहरों का निर्माण करवाया। वह पहला सुल्तान था जिसने प्रजा से सिंचाई कर 'शर्व' वसूला।
• फिरोजशाह ने एक दान विभाग 'दीवान-ए-खैरान' की स्थापना की। उसने एक दास विभाग 'दीवान-ए-बन्दगान' की भी स्थापना की थी।
• वह पहला सुल्तान था जिसने ब्राह्मणों पर भी 'जजिया कर' लगाया।
• फिरोजशाह तुगलक ने अपनी आत्मकथा 'फुतूहात-ए-फिरोजशाही' की रचना की।
• मुहम्मदशाह 'तुगलक वंश' का अन्तिम शासक था, जिसके शासनकाल में तैमूरलंग का दिल्ली पर आक्रमण (1398 ई.) हुआ।
• सैयद वंश (1414-1451 ई.) का संस्थापक खिज्र खाँ था।
लोदी वंश (1451-1526 ई.)
• लोदी वंश का संस्थापक बहलोल लोदी (1451-1488 ई.) था, उसने भारत में पहली बार अफगान राज्य की स्थापना की।
• सिकन्दर लोदी (1489-1517 ई.) ने भूमि की माप के लिए सिकन्दरी गज के इस्तेमाल की शुरूआत की।
• उसने 'गुलरुखी' के उपनाम से कविताएँ भी लिखीं।
• सिकन्दर लोदी ने 1504 ई. में आगरा नगर की स्थापना की तथा उसे अपनी राजधानी बनाया।
• इब्राहिम लोदी (1517-1526 ई.) दिल्ली सल्तनत का अन्तिम सुल्तान था। पानीपत के प्रथम युद्ध (1526 ई.) में बाबर ने इब्राहिम लोदी को पराजित कर दिल्ली सल्तनत का अन्त कर दिया।
भक्ति एवं सूफी आन्दोलन
भक्ति
• मध्यकाल में सर्वप्रथम दक्षिण के आलवार सन्तों द्वारा भक्ति आन्दोलन की शुरूआत हुई।
• उत्तर भारत में भक्ति आन्दोलन प्रारम्भ करने का श्रेय रामानन्द को है।
• रामानन्द का जन्म प्रयाग (इलाहाबाद) में हुआ था। उन्होंने विष्णु के अवतार के रूप में राम की भक्ति को लोकप्रिय बनाया।
• कबीर ने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया। उनकी रचनाएँ 'बीजक' में संगृहीत हैं। वे निर्गुण भक्ति धारा के प्रमुख कवि थे।
• गुरुनानक का जन्म ननकाना साहब (तलवण्डी) में हुआ था। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया।
• चैतन्य बंगाल में भक्ति आन्दोलन के प्रवर्तक थे। उन्होंने संकीर्तन प्रथा को जन्म दिया।
• सूरदास कृष्ण भक्ति परम्परा से सम्बन्धित थे। उन्होंने अपने ग्रन्थ 'सूरसागर' के राधा-कृष्ण के आदर्श प्रेम को लोकप्रिय बनाया।
• गुजरात के संत नरसिंह मेहता राधा-कृष्ण भक्ति से सम्बन्धित थे।
• शंकराचार्य के अद्वैतदर्शन के विरोध में दक्षिण में वैष्णव सन्तों द्वारा चार मतों की स्थापना की गई थी, जो इस प्रकार हैं
सूफी
• सूफियों का संगठन 'सिलसिला' कहा जाता था। जो लोग सूफी संतों से शिष्यता ग्रहण करते थे, उन्हें 'मुरीद' कहा जाता था।
• चिश्ती सम्प्रदाय के संस्थापक ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती थे। उनका मकबरा अजमेर में स्थित है।
• बाबा फरीद की कुछ रचनाएँ 'गुरु ग्रन्थ साहिब' में शामिल हैं।
• हजरत निजामुद्दीन औलिया ने अपने जीवनकाल में दिल्ली के सात सुल्तानों का शासन देखा था। 'अभी दिल्ली दूर है,' ये वचन निजामुद्दीन औलिया ने ग्यासुद्दीन तुगलक को कहे थे।
• शेख अब्दुल्ला सत्तारी ने सत्तारी सिलसिले की स्थापना की थी। इसका मुख्य केन्द्र बिहार था।
• रोशनिया सम्प्रदाय के संस्थापक वायजीद अंसारी थे।
• सुहरावर्दी परम्परा की शाखा फिरदौसी पूर्वी भारत विशेषकर बिहार में विकसित हुई, जिसके महत्त्वपूर्ण सन्त शफुद्दीन याह्या मनेरी थे।
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