भारतेन्दु युग एवं द्विवेदी युग की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

भारतेन्दु युग -

भारतेन्दु युग हिंदी कविता का जागरण काल है। इस युग को हिंदी साहित्य  प्रवेश द्वार माना जाता है। 

भारतेन्दु युग की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

इस युग में देशोद्धार, राष्ट्र-प्रेम, अतीत-गरिमा आदि विषयों की और ध्यान दिया गया और कवियों की वाणी में राष्ट्रियता का स्वर निनादित होने लगा। इस युग में भारतेन्दु हरिश्चंद्र प्रताप नारायण मिश्र, चौधरी बद्रीनारायण 'प्रेमधान'लाला सीताराम आदि प्रमुख रचनाकार हुए। 

भारतेन्दु युग के प्रमुख कवि एवं उनकी प्रमुख रचनाएँ 

क्र. कवि रचनाएँ
1 भारतेन्दु हरिचन्द्र 'प्रेम सरोवर 'प्रेम फुलवारी' वेणु गीति'  'प्रेम मल्लिका।
2 प्रताप नारायण मिश्र 'प्रेम पुष्पावली ' 'मन की लहर' शृंगार विलास' .
3 चौधरी बद्रीनारायण 'प्रेमघन'

जीर्ण जनपद'  ' आनन्द अरूणोदय 'लालित्य लहरी ' .

4 . राधाचरण गोस्वामी  नवभक्त मॉल' .
5. जगमोहन सिंह  प्रेम सम्पत्ति लता; देवयानी ' श्यामा सरोजिनी।
6. अम्बिका दत्त व्यास  भारत धर्म 'हो हो होरी' पावस पचासा। 

द्विवेदी युग

भारतेन्दु युग के पश्चात द्विवेदी युग का प्रारम्भ हुआ। इस युग की अवधि भारतेन्दु युग की अपेक्षा कम, मात्र 20 वर्ष रही।

द्विवेदी युग की प्रमुख प्रवृत्तियाँ 

द्विवेदी युग में खड़ी बोली कविता की सम्वाहिका बनी।  काव्य में सामाजिक तथा पौराणिक विषयों का विस्तार हुआ श्रीधर पाठक, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, अयोध्यासिंह उपाध्याय 'मैथिलीशरण गुप्त, गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' रामचरित उपाध्याय रामनरेश त्रिपाठी गोपालशरण सिंह जगन्नाथ प्रसाद रत्नाकार' सत्यनारायण कविरत्न आदि विशेष उल्लेखनीय है।

द्विवेदी युग के प्रमुख कवि एवं उनकी प्रमुख रचनाएँ

 

क्र. कवि रचनाएँ
1 अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध  'प्रिय प्रवास'  ' वैदेही वनवास चुभते चौपदे रसकलश।
2 मैथिलीशरण गुप्त  पंचवटी' जयद्रथ-वध' भारत- भारती'  'साकेत' यशोधरा 
3 माखनलाल चतुर्व्रेदी  हिमकिरीटिनी' हिमतरंगिनी युगचरण समपर्ण 
4 . महावीर प्रसाद द्विवेदी  काव्य मंजूषा सुमन 
5. रामनरेश त्रिपाठी  मिलन, पथिक, स्वप्न, मानसी। 
   

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