ग्राम धनात्मक और ग्राम-ऋणात्मक जीवाणुओं का अभिरंजन

जीवाणुओं का अभिरंजन (Staining of Bacteria)

जीवाणुओं को क्रिस्टल वायलेट एवं आयोडीन के घोल से अभिरंजन करने पर सभी बैंगनी हो जाते है, उसके पश्चात् एसीटोन या एल्कोहॉल से धोकर साफ़ करने पर ग्राम धनात्मक जीवाणुओं में बैंगनी रंग बना रहता है, जबकि ग्राम-ऋणात्मक  रंगहीन हो जाते है, इसके पश्चात सेफरेनीन या कॉब्रोल-फुक्सीन से अभिरंजन देने पर ग्राम धनात्मक जीवाणु बैंगनी ही रहते हैं, जबकि ग्राम-ऋणात्मक गुलाबी लाल रंग ले लेते है।

क्रिश्चिन ग्राम ने अभिरंजन क्रिया के आधार पर जीवाणुओं को दो समूह ग्राम धनात्मक व ग्राम-ऋणात्मकमें रखा।

ग्राम धनात्मक और ग्राम-ऋणात्मक जीवाणुओं में अंतर

ग्राम धनात्मक 

  • कोशिका भित्ति मोटी होती है।
  • कोशिका भित्ति में पेप्टिडोग्लाइकें की मात्रा अधिक (70-80%) तथा लिपिड की मात्रा कम (4%) होती है 
  • कोशिका भित्ति में टीकोइक अम्ल उपस्तिथ होता है।
  • ये प्रतिजैविकों के प्रति कम प्रतिरोधी है।
  • ये लाइसोजाइम के प्रति अधिक प्रतिरोधी है 

उदाहरण - क्लोस्ट्रियम न्यूमोकोक्स, माइक्रोबैक्टीरिया स्टेफाइलोकोकस आदि।

ग्राम-ऋणात्मक

  • कोशिका भित्ति अपेक्षकृत पतली होती है।
  • कोशिका भित्ति में पेप्टिडोग्लाइकेन की मात्रा अधिक होती है।
  • कोशिका भित्ति में टीकोइक अम्ल अनुपस्तिथ होता है।
  • ये प्रतिजैविकों के प्रति अधिक प्रतिरोधी हैं। 
  • ये लाइसोजाइम के प्रति कम प्रतिरोधी हैं।

उदाहरण - ई. कोलाई, साल्मोनेला, स्यूडोमोनास, बैसिलस विब्रियो आदि। 

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