जल प्रदूषण के मुख्य स्त्रोतों के नाम, जल प्र दूषण के नियंत्रण के उपाय

जल प्रदूषण के स्त्रोत -

जल की गुणवत्ता को कम करने वाले तत्वों को जल प्रदूषण कहते है। इनका दो स्त्रोतों से जनन होता है 

(1) प्राकृतिक स्त्रोत - इसके अंतर्गत मृदा अपरदन, भूमि स्खलन, ज्वालामुखी उद्रगार तथा पौधों एवं जन्तुओ के विघटन एवं वियोजन को सम्मिलित किया जाता है, मृदा-अपरदन अवसाद के कारण नदियों तथा झीलों की अविलता गंदलापन में वृध्दि हो जाती है। इस अवसाद के कारण नदियों तथा झीलों की अविलता गंदलापन में वृध्दि  इसी तरह झीलों के पास भूमि स्खलन  तरफ तो झीलों का मलबे से भराव होता है तो दूसरी   गंदलापन भी बढ़ता जाता है।

(2) मानव स्त्रोत- इसके अतिरिक्त औधोगिक, नगरीय, कृषि तथा सामाजिक स्त्रोतों (सांस्कृतिक एवं धार्मिक सम्मेलनों के समय एकत्रित जनसमूह, उदाहरण के लिए गंगा एवं यमुना नदियों के संगम स्थल अर्थत इलाहबाद में महाकुम्भ के अवसर पर प्रति 12 वे वर्ष भारत के सभी भागो से लगभग ३ करोड़ लोगो का जमघट हो जाता है) को सम्मिलित किया जाता है। ज्ञातव्य की प्राकृतिक जल में प्राकृतिक प्रदूषकों को आत्मसात करने की क्षमता होती है अतः जल का प्रदूषण मानव-जनित स्त्रोतों से उतपन्न प्रदूषकों द्वारा ही होती है। 

जल प्रदूषकों के प्रकार - जल प्रदूषकों का कई आधारों पर निम्न रूपों में वर्गीकरण किया जाता है -

(1) प्रदूषकों के स्त्रोतों के आधार पर- जल प्रदूषकों को निम्न प्रकारो में बाँटा जाता है।

(I) औधोगिक प्रदूषक- जैसे औधोगिक अपशिष्ट जल, रासायनिक प्रदूषक (जैसे-क्लोराइड, सल्फाइड, कार्बोनेट, अमोनीकल नाइट्रोजन, नाइटराइटर्ना इट्रेट्स  आदि ), भारी धात्विक पदार्थ जैसे -पारा सीसा, जस्ता, तांबा, कार्बनिक, रासायनिक यौगिक, रेडियोएक्टार अपशिष्ट ाडी।

(Il) कृषि-जगत प्रदूषक जैसे रासायनिक उर्वरक, कीटनाशी, रोगनाशी एवं शाकनाशी कृत्रिम रसायन, खर-परवार तथा पौधों के अवशिष्ट भाग।

(Ill) नगरीय प्रदूषक जैसे- विभिन्न प्रकार के आयन जैसे -सल्फेट ायाँ, नाइट्रेट आयन (नगरों में स्वचालित वाहनों तथा अन्य रूपों में जीवश्म ईंधनों के धन से उतसर्जित हवा प्रदूषकों के वर्षा के जल द्वारा घुलन से उत्पन्न), क्लोराइड तथा सोडियम आयन (सड़को पर हिम को पिघलाने के लिए नमक के प्रयोग से उतपन्न कैल्सियम तथा बाइकार्बोनेट आयन (नगर में स्थित उधानो में प्रयुक्त चुना एवंरासयनिक उर्वरको से उतपन्न ), सल्फेट, नाइट्रेट तथा पोटेशियम आयन ) नगरीय सीवेज जल में स्थित अनेक प्रकार के रासायनिक आयन मानव एवं जानवरो के मर्त शरीरो से उतपन्न कोस्फेट तथा नाइट्रेट आयन आदि।

(IV)प्राकृतिक प्रदूषण जैसे ज्वालामुखी राख तथा धूलि, अपक्षय तथा अपरदन से उत्पन्न अवसाद, भूमि स्खलन के उतपन्न मलबा विघटित एवं वियोजित जैविक पदार्थ आदि।

(2भौतिक एवं रासायनिक गुणों के आधार पर 

 प्रदूषकों को दो प्रमुख वर्गो में विभाजित किया जाता है -

(I) भौतिक प्रदूषक जैसे- रंगम गंदलापन, अवसाद, ज्वालामुखी-घुली एवं राख, तेल, ग्रीस, घुले तथा निलंबित ठोस सकल ठोस पदार्थ आदि।

(Il) रासायनिक प्रदूषक जैसे-क्लोराइड, सल्फाइड, कार्बोनेट, अमोनीकल, नाइट्रोजन, नाइट्राइटस, नाइट्रेट्स कीटनाशी, रोगनाशी तथा शाकनाशी कृत्रिम रसायन, अन्य प्रकार के कृत्रिम रसायन यौगिक आदि

(3) विगलंता के आधार पर 

जल के प्रदूषकों को विगलित होने वाले तथा विगलित न होने वाले प्रदूषकों में विभाजित किया जाता है। जिन प्रदूषकों का जीवीय कारको जैसे वियोजक सूक्ष्म जीवो द्वारा विघटन एवं वियोजन हो जाता है,  उन्हें biodegradable अथवा degradable प्रदूषक कहते है। इन्हे जैविक प्रदूषक भी कहा जाता है। वियोजक सूक्ष्म जीवो द्वारा विगलित या वियोजित न होने वाले प्रदूषकों को अजैविक प्रदूषक कहा जाता है।

जल-प्रदूषण नियंत्रण -

जल प्रदूषण नियंत्रण के प्रमुख उपाय निम्नलिखित है 

  1. प्रत्येक घर में सेप्टिक टैंक होना चाहिए। 
  2. नदी तालाब झील आदि में स्नान नहीं करना चाहिए। 
  3. कीटनाशियों तथ कवकनाशियों इत्यादि के रूप में निम्नीकरण पदार्थो का प्रयोग करना चाहिए।
  4. नगरों के वहित मॉल को आब्दी से दूर छोड़ना चाहिए। वहित मल में कार्बनिक पदार्थो को कम करने के लिए ऑक्सीकरण तालाब या फ़िल्टर बेंड का उपयोग करना चाहिए।
  5. ताप तथा परमाणु बिजलीघरों से निकलने वाले जल को ठंडा होने के बाद शुध्द करके ही जल स्त्रोतों में छोड़ना चाहिए।
  6. कुछ मछलियां हानिकारक जन्तुओ के लार्वा तथा अंडो को खाकर उनकी संख्या को कम करती है, इन्हे जल स्त्रोतों में पालना चाहिए।
  7. बड़ी बड़ी फैक्ट्रियों में जल शोधन संयंत्रों को लगाना चाहिए जिससे इनके द्वारा निकला जल शुध्द होने के बाद ही जल स्त्रोत में जा सके।
  8. पशुओ के प्रयोग के लिए अलग जल स्त्रोत का प्रयोग करना चाहिए।
  9. खतरनाक कीटनाशियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
  10. समय समय पर जल स्त्रोतों से हानिकारक पौधों को निकाल देना चाहिए। 

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