रघुवीर सहाय का जीवन परिचय

जीवन परिचय-

समकालीन हिंदी कविता के संवेदनशील कवि रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसम्बर, 1929 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था।  अपनी लखनऊ विश्वविधालय से 1951 में एम. ए. अंग्रेजी की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1955 में आपने विमलेश्वरी सहाय से विवाह किया। आपने 1946 से साहित्य सृजन प्रारम्भ किया। एम. ए. करने के उपरान्त आप पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने लगे। आपने 'प्रतिक', 'वाक्' और कल्पना जैसे अनेक पत्रिकाओं के सम्पादक मण्डल के सदस्य के रूप में कार्य किया। ततपश्चात कुछ समय तक आप आकाशवाणी में ऑल इण्डिया रेडियो के हिंदी समाचार विभाग से भी संबद्ध रहे आप  तक लोकप्रिय 'पत्रिका 'दिनमान' के सम्पादक रहे। अज्ञेय द्वारा सम्पादित 'दूसरा सप्तक' 1951 में प्रकशित आपकी कविताओं से आपको एक कवि के रूप में विशेष ख्याति प्राप्त हुई।

वर्ष 1982 में रघुवीर सहाय को उनकी पुस्तक लोग भूल गए है के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

रचनाएँ

(1) काव्य संग्रह - सीढ़ियों पर धुप में (1960), 'आत्महत्या के विरूद्ध' (1967), हंसो-हँसो जल्दी हँसो' (1947), लोग भूल गए है, कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ, एक समय तह'.

'आत्महत्या के विरूद्ध इनका प्रसिद्द काव्य संग्रह है। सीढ़ियों पर धुप में' में कविता कहानी- निबंध का अनूठा संकलन है।

(2) पत्रकारिता- ऑल इण्डिया रेडियो के हिंदी समाचार विभाग से सम्बृद्ध रहे, फिर हैदराबाद से निकलने वाली पत्रिका कल्पना और उसके बाद दैनिक 'नवभारत टाइम्स' तथा 'दिनमान' से संबद्ध रहे।

(3) प्रारम्भिक कविताएँ - अज्ञेय द्वारा सम्पादित 'दूसरा सप्तक' (1951) में प्रकशित हुई।

(4) बाल कविताएँ - चल परियो के देश, फायदा।

भाव पक्ष-

(1) समकालीन समाज का चित्रण - रघुवीर सहाय ने समकालीन समाज का यथार्थ चित्रण किया है। इनके काव्य में समाजिक यर्थाथ के प्रति विशिष्ट सजगता दृष्टिगोचर होती है। इन्होने सामाजिक व्यवस्था, शोषण, विडंबना आदि का यर्थाथ चित्रण किया है।

(2) सांस्कृतिक एवं राजनीतिक चेतना - सहाय के काव्य में राजनीतिक एवं सांस्कृतिक चेतना का प्रखर चित्रण हुआ है।  इनकी अनेक कविताएँ समकालीन समाज को जागृत करने का आग्रह करती है।

(3) मध्यवर्गीय जीवन का चित्रण - कवि ने अपने काव्य में  के तनाव और विडंबनाओं का वर्णन किया है वह कवि और शेष दुनिया के  अनुभूत तनाव है जो कवि को निरंतर आंदोलित करता रहता है।

(4) बाल कविताएँ - 'चल परियो के देश' 'फायदा' 

भाव पक्ष -

(1) समकालीन समाज का चित्रण- रघुवीर सहाय ने समकालीन समाज का यथार्थ चित्रण किया है। इनके काव्य में सामजिक यथार्थ के प्रति विशिष्ट सजगता दृष्टिगोचर होती है इन्होने सामाजिक व्यवस्था, शोषण, विडंबना आदि का यर्थाथ चित्रण किया है।

(2) सांस्कृतिक एवं राजनीतिक चेतना - सहाय के काव्य में राजनीतिक एवं सांस्कृतिक चेतना का प्रखर चित्रण हुआ है। इनकी अनेक कविताये समकालीन समाज को जाग्रत करने का आह्रान करती है।

(3) मध्यवर्गीय जीवन का चित्रण - कवि ने अपने काव्य में मध्यवर्गीय जीवन के तनाव और विडंबनाओं का वर्णन किया है। वह कवि और शेष दुनिया के बीच का अनुभूत तनाव है जो कवि को निरंतर आंदोलित करता रहता है।

(4) भ्र्ष्टाचार का चित्रण - रघुवीर सहाय ने अपने काव्य में समकालीन समाज में फैले भ्र्ष्टाचार का यर्थाथ चित्रण किया है इन्होने लोकतंत्र में व्याप्त  प्रत्येक गतिविधि का मार्मिक वर्णन किया है।

कला पक्ष -

(1)भाषा - रघुवीर सहाय की भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली है जिसमे संस्कृत के तटसँ, तद्रभव और विदेशी भाषाओर के शब्दों का भी समायोजन हुआ है। वास्तव में इनकी भाषा सरल साफ़ सुथरी एवं सधी हुई है इनकी भाषा नगरीय (शहरी) होते हुए भी सहज व्यवहार वाली है।

(2) रघुवीर सहाय ने अपनी कृतियों में विभिन्न शैलियों को अपनाया है।  मुख्य रूप से इनकी शैली व्यंग्यात्मक रही है।  उनकी अत्यधिक चर्चित कविता अधिनायक उनकी भावपूर्ण व्यंग्यात्मक शैली का चरम माना जा सकता है।

(3) अलंकार-योजना - रघुवीर सहाय आधुनिक काव्य-भाषा के मुहावरों को पकड़ने में अत्यंत कुशल है। इन्होने अपनी काव्य-रचनाओं में शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों का ही भरपूर उपयोग किया है। इनके काव्य में अनुप्रास, पद्मित्री, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, मानवीकरण इत्यादि  स्वाभिविक प्रयोग हुआ है।

(4) छंद-योजना - रघुवीर सहाय ने अपनी कविताओं में मुक्तक छंद का प्रयोग कियाहै। इन्होने अपनी कविताओं के माध्यम से मुक्तक मुक्तक छंद को एक नई पहचान दी।

साहित्य में स्थान -

रघुवीर सहाय एक लम्बे समय तक याद रखे जाने वाले कवि है। सहाय राजनीति पर कटाक्ष करने वाले कवि थे। मूलतः उनकी कविताओं में पत्रकारिता के तेवर और अखबारी अनुभव दिखाई देता है भाषा और शिल्प के मामले में उनकी कविताएँ नागार्जुन की याद दिलाती है। हिंदी साहित्य में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनके इस विलक्षत योगदान के लिए साहित्य में उनका स्थान अत्यंत उच्चकोटि का है।

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