रंध्र की संरचना एक जलरंध्र एवं रंध्र में अंतर

रन्ध्र की संरचना (Structure of Stomata ) 

रन्ध्र एक छोटा सा छिद्र है , जो चारो और से गुर्दे या सेम के बीज के आकार की बाह्य त्वचीय कोशिकाओं से घिरा होता है। इन कोशिकाओं को द्वार कोशिकाए या रक्षक कोशिकाएँ कहते है द्वार कोशिकाएँ जीवित हरितलवक युक्त तथा केंद्रकयुक्त होती है।  द्वार कोशिकाओं की अंदर की भित्ति मोटी तथा बाहरी भित्ति पतली होती है।

रक्षक कोशिकाओं के चारो ओर विभिन्न आकार की बाह्य त्वचीय कोशिकाए होती है, जिनको उपकोशिका या गौण कोशिका कहते है।

रन्ध्र तथा जालरंध्र में अंतर

 

क्र.  रन्ध्र जलरंध्र
1. ये सभी पौधों के वायवीय अंगो (पत्ती, कोमल तने आदि )पर मिलते है  ये केवल कुछ पौधों की पत्तियों में मिलते है। 
2. ये पत्ती दल बाह्यदल आदि की ऊपरी तथा निचली बाह्यत्वचा पर मिलते है।

ये केवल पत्ती के किनारे पर मिलते है।

3. रक्षा कोशिकाएँ मिलती है।  रक्षा कोशिकाएँ नहीं मिलती है 
4. रक्षा कोशिकाएँ में हरितलवक मिलती है।  जलरंध्र को घेरने वाली कोशिकाओं में हरितलवक नहीं मिलता है।
5. रंध्र स्फीति तथा श्लथ में खुलते तथा बंद होते है  जलरंध्र हमेशा खुले रहते है। 
6. केवल शुद्ध जल बाहर वाष्प बनकर निकलता है।  जल द्रव के रूप में निकलता है तथा उसमे शर्करा खनिज आदि मिले होते है। 
7. रंध्र का शिरा से कोई संबंध नहीं होता है।  जल रंध्र के नीचे की ोे एपीथेम कोशिकाएँ मिलती है।
8. रंध्र के नीचे रन्धीय गुहा मिलती है।  जल रंध्र शिरा के अंत में बनते है।

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