संकरण क्या है संकरण के प्रकार

संकरण वह विधि है, जिसमे भिन्न आनुवांशिक संगठन वाले दो या दो से अधिक पौधों के बीच क्रॉस (संकर ) कराकर नई पादप प्रभेद (वैरायटी) तैयार कि जाती है। इस विधि में शुध्द वंशक्रम के पौधों के बीच संकरण कराया जाता है जिनमें अलग-अलग वांक्षनीय गुण हो। संकर प्रजाति में दोनों पौधों के वांक्षित गुण समाहित होते है।

संकरण निम्नलिखित प्रकार के होते है-

(1) अंतरावैराइटल या अंतरजातीय संकरण - इस विधि में एक ही प्रभेद या वैरायटी के पौधों के बीच संकरण कराया जाता है। यह मुख्यतः स्वपरागण वाले फसलों में अपनाया जाता है। यह वैरायटी को उत्कृष्ट बनाने के उद्देश्य से किया जाता है।

(2) अंतरजातीय या अन्तरवैराइटल संकरण - एक ही प्रजाति के दो भिन्न जातीय पौधो के बीच इस विधि से संकरण कराया जाता है।  संकर मक्का (Hybrid maize) तथा अन्य अनाजी फसलों की संकर वैरायटी इसी विधि द्वारा तैयार की गई है।

(3) अंतरप्रजातीय या इंटरस्पेसीफिक संकरण - दो भिन्न प्रजाति के पौधों के बीच संकर तैयार करने की यह विधि है। दोनों प्रजाति एक ही जीनस (genus) से संबंधित होते है।  पोमैटो (Pomato) इसका उदाहरण है।

(4) इंटरजेनेटिक संकरण - इस विधि में दो भिन्न जींस के पौधों के बीच संकरण कराया जाता है। उदाहरण -रेफेनोब्रेशिका (मूली एवं सरसो के बीच का संकर), ट्रिटिकेल (गेहूँ एवं राई के बीच एक संकर) आदि।

Enjoyed this article? Stay informed by joining our newsletter!

Comments

You must be logged in to post a comment.

About Author