भारतेन्दु युग की प्रमुख प्रवत्तियाँ

भारतेन्दु युग (1850-1900) 

भारतेन्दु युग हिंदी कविता का जागरण काल है। इस युग को हिंदी साहित्य का प्रवेश द्वार माना जाता है।

भारतेन्दु युग की प्रमुख प्रवृत्तियाँ 

इस युग में देशोद्धार, राष्ट्र- प्रेम, अतीत- गरिमा आदि विषयो की और ध्यान दिया गया और कवियों की वाणी में राष्ट्रीयता का स्वर निनादित होने लगा। इस युग में भारतेन्दु हरिश्चंद्र प्रताप नारायण मिश्र, चौधरी बद्रीनारायण 'प्रेमघन' लाला सीताराम आदि प्रमुख रचनाकार हुए।

भारतेन्दु युग के प्रमुख कवि एवं उनकी प्रमुख रचनाएँ

 

क्र. कवि रचनाएँ
1  भारतेन्दु हरिश्चंद्र 'प्रेम सरोवर', प्रेम फुलवारी', वेणु गीति', प्रेम मल्लिका'.
2 प्रताप नारायण मिश्र  प्रेम पुष्पावली', 'मन की लहर','शृंगार विलास'
3 चौधरी बद्रीनारायण 'प्रेमघन'. जीर्ण जनपद', आनंद अरूणोदय', लालित्य लहरी'.
4 . राधाचरण गोस्वामी। नवभक्त माल'.
5. जगमोहन सिंह।  प्रेम सम्पति लता', देवयानी', श्यामा सरोजिनी। 
6. अम्बिका दत्त व्यास।  'भारत धर्म', हो ही होरी', पावस पचासा'.

भारतेन्दु युग से संबधित प्रश्न 

प्रश्न 1.भारतेन्दु युग का अन्य नाम क्या है ?

उत्तर - भारतेन्दु युग को 'पुनर्जागरण काल' नाम से भी जाना है। 

प्रश्न 2. भारतेन्दु युग में काव्य की भाषा क्या थी ?

उत्तर -भारतेन्दु युग में काव्य की भाषा ब्रज थी।

प्रश्न 3. भारतेन्दु युग के काव्य की प्रमुख विशेषताएँ लीखिए ?

उत्तर- भारतेन्दु युग के काव्य की प्रमुख विशेषताएं अग्र प्रकार है-

(1) समाज सुधार का भाव, (2) राष्ट्रीय चेतना, (3) भक्ति भावना, (4) प्रकृति चित्रण (5) ब्रजभाषा का प्रयोग, (6) शृंगार वर्णन, (7) स्वदेश- प्रेम।

प्रश्न 4. भारतेन्दु युग के प्रमुख कवियों के नाम लिखिए।

उत्तर- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, प्रताप नारायण मिश्र, चौधरी बद्रीनारायण 'प्रेमघन' ठाकुर जगमोहन सिंह, राधाकृष्ण दास, अम्बिकादत्त व्यास भारतेन्दु युग के प्रमुख कवि है।

प्रश्न 5. भारतेन्दु युग को हिंदी कविता का जागरण काल क्यों कहा जाता है ?

उत्तर - भारतेन्दु युग के कवियों की कविता में देशोद्धार, राष्ट्र- प्रेम, अतीत गरिमा आदि विषयो की और ध्यान दिया गया है।  कवियों की वाणी में राष्ट्रीयता के स्वर मुखरित है सांस्कृति, राजनितिक एवं सामाजिक आंदोलनों के फलस्वरूप हिंदी काव्य में नयी चेतना तथा विचारो का समावेश हुआ।

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