ब्रायोफाइटा जगत का वर्गीकरण

ब्रायोफाइटा जगत 

ब्रायोफाइटा वर्ग का सबसे सरल व आद्य सदस्यों का समूह है। इनका अध्ययन  ब्रायोलॉजी तथा अध्ययन कहते है। ब्रायोलॉजी के जनक एफ.कवर्स तथा भारतीय ब्रायोलॉजी के जनक एस.आर कशयप जाते है। ब्रायोफाइटा नाम का उपयोग सर्वप्रथम ब्रॉन ने 1864 में कियाथा। ओसवाल्ड टिप्पो ने ब्रायोफाइटा को संवहन ऊतक न होने के कारण कहाँ।

archegonia शब्द का प्रयोग ब्रायोफाइटा,टिरिडोफाइट व अनावृतबीजी के लिए किया जाता है।

ब्रायोफाइट्स प्रथम स्थलीय पादप है। इनमे निषेचन के लिए जल की उपस्तिथि अनिवार्य है इसीलिये इन्हे वनस्पति जगत का उभयचर कहते है।

यह पर्णहरित होने के कारण स्वयंपोषी है इनमे संवहन ऊतकों का अभाव होता है। इसलिए इन्हे असंवहनी एमीब्रयोफाइटा भी कहते है। ब्रायोफाइट्स में वास्तिविक संवहन ऊतक का अभाव होता है। 

वर्गीकरण (Classification)- ब्रायोफाइट्स के इन वर्गों लिए विभेदी लक्षण निम्न है। 

वर्ग - हेपेटिस  (Hepaticeae)

  • मुख्य पौधा युग्मकोदभिद तथा थैलसाभ (thalloid)होता है।
  • मूलाभास  (rhizoid) एककोशिकीय (unicellular) तथा पट रहित  (without septa)होते है। 
  • हरित लवक अनेक तथा पाइरीनाइड रहित होते है। 
  • सम्पुट  (capsule) में स्तभ  (columella)नहीं पाया जाता है 

उदाहरण - रेकिस्या ,मार्केसिया। 

वर्ग -ऐंथोसिरोटी  (anthocerotae)  

  • मुख्य पौधा युग्मकोदभिद तथा थैलसाभ (thalloid)होता है। जिसमे वायु प्रकोष्ट  (air chmbers)तथा शल्क  (scales) नहीं पाए जाते है। 
  • मूलाभास एककोशिकीयतथा पट रहित होते है। 
  • सम्पुट (capsule) के बीच में स्तभ (columella)नहीं पाया जाता है 
  • प्रत्येक कोशिका में बड़ा हरितलवक होता है ,जिसमे पायरीनाइड पाया जाता है। 

उदाहरण - ऐंथोसिरोस। 

वर्ग -  ब्रायोप्सिडा  (musci orbryopsida)

  •  मुख्य युग्मकोद्भभित पोधो स्यान प्रथम तंतु तथा युग्मक धार में विभेदित होता है। युग्मक धर होता है। 
  • मूलाभास बहु कोशिकीय तथा तिरछे पटों से युक्त होते है। 
  • सम्पुट में इलेटर अनुपस्तिथ होते है। 

उदाहरण - फ्युनेरिया ,स्फेगनम 

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