भारतेन्दु युग के पश्चात द्विवेदी युग का प्रारम्भ हुआ। इस युग की अवधि भारतेन्दु युग की अपेक्षा कम, मात्र 20 वर्ष रही।
द्विवेदी युग की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
द्विवेदी युग में खड़ी बोली कविता की संवाहिका बनी। काव्य में सामाजिक तथा पौराणिक विषयों का विस्तार हुआ। श्रीधर पाठक, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, आयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' , मैथलीशरण गुप्त गयाप्रसाद शुक्ल ' सनेही', रामचरित उपाध्याय, रामनरेश त्रिपाठी, गोपालशरण सिंह जगन्नाथ प्रसाद 'रत्नाकर', सत्यनारायन 'कविरत्न' आदि विशेष उल्लेखनीय है।
द्विवेदी युग के प्रमुख कवि एवं उनकी प्रमुख रचनाएँ
क्र. | कवि | रचनाएँ |
1 | अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' | 'प्रिय प्रवास', 'वैदेही वनवास', चुभते चौपदे', 'रसकलश',. |
2 | मैथलीशरण गुप्त | 'पंचवटी', जयद्रथ-वध', 'भारत-भारती', 'साकेत', ' यशोधर '. |
3 | माखनलाल चतुर्वेदी | हिमकिरीटिनी', हिमतरंगिनी', युगचरण 'सम्पर्ण'. |
4 . | महवीर प्रसाद द्विवेदी | 'काव्य मंजूषा', सुमन'. |
5. | रामनरेश त्रिपाठी | 'मिलन', 'पथिक', 'पथिक', 'स्वपन', 'मानसी'. |
द्विवेदी युग से संबधित प्रश्न
प्रश्न 1.द्विवेदी युग के प्रवर्तक कौन थे ?
उत्तर - द्विवेदी युग के प्रवर्त्तक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी माने जाते है।
प्रश्न 2. द्विवेदीयुगीन दो महाकाव्यों के नाम लिखिए।
उत्तर -द्विवेदीयुगीन दो महाकाव्य 'प्रिय प्रवास' और 'साकेत' है।
प्रश्न 3. द्विवेदी-युग के काव्य जो चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर - (1) वर्णन का प्राधान्य, (2) अतीत के गौरव का बखान, (3) आदर्शवादिता और (4) देश-प्रेम।
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