क्लोनिंग से तात्पर्य उस प्रक्रम से है जिसके तहत किसी जीव, कोशिका या जीन की हू-ब-हू प्रतिकृतिमा तैयार की जाती है। जहां तक जीन क्लोजिंग का तातपर्य है, इसका उद्देश्य किसी वांछित जीन या DNA खण्ड की कई प्रतिकृतियाँ तैयार करना है किसी विलगित या पृथक्कृत जीन की क्लोनिंग दो प्रकार से की जाती है -
(1) संवाहन आधारित आतिथ्य कोशिका के अंतर्गत क्लोनिंग,
(2) रासायनिक संश्लेषण आधारित पोलीमरेज़ शृंखला अभिक्रिया के अंतर्गत क्लोनिंग परन्तु सामान्यतः जीन क्लोनिंग से व्यवहारिक तात्पर्य संवाहक आधारित आतिथ्य कोशिका के अंतर्गत क्लोनिंग से है। इसके अंतर्गत जीन या DNA खण्ड का किसी उचित संवाहक में प्रविष्ट कर पुनर्योगज DNA तैयार कर उसे आतिथ्य कोशिका में स्थानांतरित कर, स्थानांतरित कोशिकाओं के संवर्धन द्वारा जीन की अनेक प्रतिकृतिया आतिथ्य कोशिका में तैयार की जाती है। संवाहक सामान्यतः आतिथ्य कोशिका में बार-बार प्रतिकृति कर अनेक प्रतिया बनाने की क्षमता रखते है। अतः उन पर समावेशित जीन की भी साथ साथ कई प्रतियाँ तैयार की जाती है।
जीन क्लोनिंग के चरण
स्टेनले कोहेन एवं हरबर्ट बोयर ने 1972 में जीन क्लोनिंग तकनीक की शुरुआत की। जीन क्लोनिंग के अंतर्गत निम्नलिखित चरण प्रमुख है -
(1) वांछित जीन से संबंधित DNA की पहचान एवं पृथक्करण,
(2) उपयुक्त प्लाज्मिड का पृथक्करण,
(3) वांछित जीन का प्लाज्मिड में समावेशन,
(4) पुनर्योगज DNA का आतिथ्य कोशिका में स्थानांतरण तथा आतिथ्य कोशिका में जीन की प्रतिक्रातियों का निर्माण,
(5) आतिथ्य कोशिका के अंदर जीन के अभिलक्षण द्वारा वांछित जीन के उत्पाद का निर्माण। जीन क्लोनिंग उत्पाद का सबसे बढ़िया उदाहरण जीवाणु कोशिकाओं में इन्सुलिन का उत्पादन है। इन्सुलिन जीन को प्लाज्मिड में समावेशित कर जीवाणुओं में प्रविष्ट कराकर इन आतिथ्य कोशिकाओं के संवर्धन से इन्सुलिन बनाया जाता है। इस प्रकार से बनने वाले एक इन्सुलिन का ट्रेड नाम -ह्यूरमिलिन, जिसका विपणन इलि लिलि कम्पनी करती है।
जीन क्लोनिंग का महत्व
किसी विशिष्ट DNA खण्ड या जीन की क्लोनिंग कर कई हणार प्रतियाँ प्राप्त की जाती है जिनका उपयोग जीन विशेष के कार्य पता करने में किया जाता है। जीन क्लीनिंग का उपयोग जीन थेरेपी (आनुवांशिक उपचार) में करके कई बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। रोगजनक जीन को सामान्य जीन से प्रतिस्थापित किया जा सकता है। बहुत से मानव जंतु एवं पादप आधारित जीनो को सूक्षजीवाणुओ या अन्य जीवो में प्रतिस्थापित कर उनके उत्पाद प्राप्त किये जा सकते है जिनका औषधीय महत्व है। जैसे -इन्सुलिन, वृध्दि हॉर्मोन, ऊतक प्लाजमिनोजेन एक्टिवेटर प्रोटीन आदि।
बहुत से ट्रांसजेनिक फसलों के उत्पादन में जीन क्लोनिंग तकनीक लाभकारी सिद्द हुई है।
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