हरितलवक (Chloroplast)
ये हरे रंग के होते है। यह पत्ती की कोशिकाओं पौधे के अन्य हरे भागो की कोशिकाओं में पाए जाते है।
कोशिकीय संरचनाओं ने केन्द्रक को छोड़कर ये सबसे बड़े कोशिकांग होते है। इनका बाहरी भाग द्विस्तरीय झिल्ली से घिरा होता है तथा इनकी हुआ में द्रव भरा होता है, जिसे स्ट्रोमा कहते है। स्ट्रोमा में कई सतत तथा असतत पटलिका पाई जाती है।
अनेक स्थानों पर झिल्लियाँ एक दूसरे पर इस प्रकार व्यवस्थित रहती हैं, जिससे विशिष्ट रचनाएँ ग्रेना का निर्माण होता है। ग्रेना झिल्लियों के मध्य छोटे छोटे प्रकोष्ट निर्मित होते हैं, जिन्हे थैलेकोईड्स कहते है।
प्रत्येक ग्रेनम के अंदर वाली सतह पर दानेदार रचनाएँ होती है, जिन्हें क्वांटासोम्स कहते है। यह हरितलवक आकारिकी एवं कार्य की इकाइयां है। हरितलवक को DNA की उपस्थिति के कारण सेमीऑटोनोमल माना जाता है। प्रकाश संश्लेषण की सम्पूर्ण क्रिया इन संरचनाओं के भीतर होती है। यह प्रोटीन तथा लिपिड के संश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
हरितलवक की संरचना
हरितलवक पौधों में प्रकाश संश्लेषण का केंद्र है। इसके स्ट्रोमा में अन्धकार अभिक्रिया तथा ग्रेना में प्रकाश अभिक्रिया होती है तथा कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण होता है।
हरितलवक का रासायनिक संघटन
क्र. | रासायनिक घटक | प्रतिशत |
1. | प्रोटीन | 40-60% |
2. | पर्णहरित | 3-10% |
3. | RNA | 5% |
4. | DNA | अल्प |
5. | फोस्फोलिपिड | 23-25% |
6. | कैरोनॉइड्स | 1-2% |
7. | एंजाइम एवं कोएंजाइम | कुछ |
8. | Fe, Cu, Zn, Mn एवं Mg अणु | ट्रेस |
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