जैव प्रौद्योगिकी एवं उधोग

जैव प्रौद्योगिकी द्वारा जीवाणुओं एवं अन्य सूक्ष्म - जीवधारियों द्वारा विकसित एंजाइमों का उपयोग उधोगों में किया जाता है ; जैसे - 

(a) अधिक मीठा शर्करा के विकास में 

(b) अधिक विटामिन एवं अमीनो अम्ल युक्त पदार्थ निर्मित करने में 

(c) प्लास्टिक उधोग में 

(d) अपमार्जक पदार्थो से मीथेन ईंधन का विकास 

(e) हाइड्रोजन ईंधन का विकास

(1) पनीर जैव-प्रौधिगिकी (Cheese Biotechnolgy)

पनीर चिकनाई युक्त दूध से बनाया जाता है। शुद्ध दूध को 60°C ताप पर 30 मिनट तक गर्म किया जाता है और लगभग 15 सेकण्ड के लिए 72 °C ताप पर। इस दूध को 30 °Cताप तक ठंडा किया जाता है ततपश्चात लैक्टोबैसिलस जीवाणु और सूक्ष्म मात्रा में रेनिन एंजाइम मिलाया जाता है।  लगभग 45 मिनट में दूध का केसिन ठोस हो जाता है। इसे छोटे छोटे टुकड़ो में काट लिया जाता है। इन टुकड़ो को गर्म पानी में एक घण्टे तक गर्म किया जाता है। इन टुकड़ो को सावधानीपूर्वक निचोड़कर हलके लवणीय घोल में डुबो दिया जाता है। 

(2) योगहर्ट जैव-प्रौद्योगिकी (Youghurt biotechnology)

योगहर्ट भी पनीर का एक प्रकार है, जिसे दूध से बनाया जाता है।  आजकल इसका उत्पादन व्यापारिक स्टार पर किया जाता है।  इसके उत्पादन में सर्वप्रथम स्वच्छ दूध को गर्म करके ठंडा किया जाता है।  ठण्डी अवस्था में स्ट्रेप्टोकॉकस थर्मोफिल्म और लैक्टोबैसिलस बुल्गैरिस के संवर्धन की मिलाया जाता है।  इसके फलस्वरूप दूध अर्द्धठोस हो जाता है। इसे मथने पर चिकना पदार्थ योगहर्ट प्राप्त होता है। 

(3)एल्कोहॉल उत्पादन (Production of Alcohol)

इस जैव-प्रौद्योगिकी की सहायता से इथाइल एल्कोहॉल का उत्पादन किया जाता है।

(1) शर्करायुक्त पदार्थो से किण्वन द्वारा ((From SugarSubstance By Fermentation)

इस क्रिया में कच्चा माल गन्ने का गधा रा या शीरा होता है। 8-10% सांद्रता वाले शर्करा युक्त घोल में थोड़ी मात्रा में H2so4 और बाद में थोड़ा अमोनिया सल्फेट और अमोनियम फॉस्फेट मिलाया जाता है इस घोल में अब सूक्ष्म माता में यीस्ट मिलाया जाता है और घोल को बड़ी टंकियों में भरकर 20-30°C ताप पर रखा जाता है इस अवस्था में यीस्ट दो इन्जाइम्स इवंतरेज और सुक्रोज उतप्न्न करता है। ये इन्जाइम्स गन्ने के इस को ग्लूकोज और फ्रक्टोज को इथाइल एल्कोहॉल में बदल देता है।

(2) स्टार्च युक्त पदार्थो से (From Starch Substance)

इस क्रिया में कच्चा माल आलू, जौ, मक्का, चावल आदि के रूप में होता है।  सर्वप्रथम डायस्टेस एंजाइम अंकुरित जाऊ से प्राप्त किया जाता है जिसे माल्ट एक्स्ट्रेक्ट कहते है।  माल्ट को उबले हुए स्टार्चयुक्त पदार्थ में मिलाया जाता है और इसे 53°C ताप पर रखा जाता है।  डायस्टेस एंजाइम स्टार्च को माल्टोज में बदल देता है। 

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