कोशिका भित्ति की संरचना का वर्णन करते हुये इसके कार्य समझाइये।

पादप कोशिका के बाहर प्लाज्मा मेम्ब्रेन के ऊपर एक रक्षात्मक आवरण पाया जाता है जिसे कोशिका भित्ति कहते है। यह कोशिका का निर्जीव भाग है इसका निर्माण कोशिका के जीवद्रव्य द्वारा होता है। इस भित्ति के द्वारा कोशिका को निश्चत आकार तथा द्रढ़ता होती है। ये मुख्य रूप से सेल्यूलोज की बनी होती है जो निम्न तीन भागो से मिलकर बनती है। -

  • मध्य पटलिका (Middle Lamella) - यह कोशिका भित्ति की सबसे बाहरी परत होती है जो कैल्सियम (Ca) मैग्नीशियम पेक्टेट की बनी होती है,तथा दो सलन कोशिकाओ को जोड़ने के लिए सीमेंट के समान कार्य करती है इसमें सेल्यूलोज का अभाव होता है। 
  • प्राथमिक कोशिका (primary cell Well) - मध्य पटलिका के निर्माण के बाद प्राथमिक कोशिका भित्ति का जमाव होता है। यह हेमीसेल्यूलोज तथा सेल्यूलोज की बनी होती है। इसके अतिरिक्त पेक्टिन,प्रोटीन तथा लिपिड भी इसमें पाए जाते है। प्लाज्मा झिल्ली के तुरंत बाहर पाई जाती है।   
  • द्वितीयक कोशिका भित्ती (Secondary Cell) - इसका निर्माण प्राथमिक भित्ति के ऊपर जमाव के रूप में होता है यह भित्ति का जमाव होता है जो मोटी होती है। द्वितीयक भित्ती कम लचीली होती है ओर इसके बनने के पश्चात कोशिका लम्बाई में वृद्धि नहीं करती है। यह सेल्यूलोज की बनी होती है। यह सेल्यूलोज ,हेमीसेलुलोज ,इत्यादि की बनी होती है  इसमें नमनशीलता का अभाव होता है। 
  • तृतीयक भित्ति (Tertiary Wall)- यह सबसे अंदर होती है। 

कार्य (Functions)-

  • यह कोशा को बल तथा कड़ापन प्रदान करती है।
  • भौतिकी दबाबों को सहन करने की शक्ति प्रदान करती है। 
  • यह कोशिका को निश्चत आकार प्रदान करती है। 
  • यह वायवीय पौधों को गुरुत्वाकषर्ण शक्ति के विपरीत ऊर्ध्वखड़े रहने में सहायता करती है। 
  • इसके द्वारा कोशिका को निश्चत आकार तथा प्राप्त होती है,जो जीव द्रव्य को बाहरी आघातों से बचती है। इसी के द्वारा जल कोशिकाओं में प्रवेश करता है। 

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