शहद के उत्पादन के लिए मधुमक्खियों के छत्तो का रखरखाव ही मधुमक्खी पालन या मौन पालन कहलाता है। मधुमक्खी पालन के महत्व निम्नलिखित है -
मधुमक्खी पालन के महत्व
(1) शहद एक उच्च पोषक महत्व का आहार है जो आयुर्वेदिक औषधियों में भी प्रयोग किया जाता है।
(2) मधुमक्खी से मोम पैदा होता है जिसका कांतिवर्धक वस्तुओ की तैयारी तथा विभिन्न प्रकार के पॉलिश वाले उधोगों में प्रयोग किया जाता है।
(3) यह एक आयजनक व्यवसाय है।
(4) मधुमक्खिया बहुत सी फसलों (जैसे -सूर्यमुखी, सरसो, सेब, नाशपाती आदि) के परागणक है। पुष्पीकरण के समय यदि इन छत्तो को खेतो रखा जाय तो इससे पौधों की पराग क्षमता बढ़ जाती है।
(a) मधुमक्खी की उपयोगी प्रजातियाँ निम्नलिखित है -
(1) एपिस इण्डिका - यह सामान्य भारतीय मधुमक्खी की नस्ल है।
(2) एपिस डॉर्सेटा - यह बड़े आकार वाली मधुमक्खी की नस्ल है जो मुख्यतः नेपाल के तराई क्षेत्र, मलेशिया, सिंगापुर तथा भारत में पायी जाती है।
(b) सफल मधुमक्खी पालन के लिए महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित है।
(1) मधुमक्खियों की प्रकृति तथा स्वभाव का ज्ञान।
(2) मधुमक्खी के छत्तों को रखने के लिए उचित स्थान का चयन।
(3) मधुमक्खी पकड़ना तथा उन्हें छत्तों में रखना।
(4) विभिन्न मौसमो में छत्तों का प्रबंधन।
(5) शहद तथा मोम का रखरखाव तथा एकत्रीकरण।
You must be logged in to post a comment.