पौधो में श्वसन क्रिया को समझाइये।

पौधों में श्वसन क्रिया तीन अवस्थाओ में सम्पन्न होती है -

  1. ग्लाइकोलिसिस-  यह अनेक प्रतिक्रियाओ की क्रमबद्ध शृंखला है, जिसके फलस्वरूप ग्लूकोज का एक अणु विघटित होकर पाइरुविक अम्ल के दो अणु बनाता है। 

ग्लाइकोलिसिस के प्रमुख पद -  

  1. यह क्रिया ऑक्सीजन की अनुपस्थति में होती है। ओर CO2 बाहर नहीं निकलती। 
  2. ग्लूकोज के एक अणु से 2 अणु पाइरुविक अम्ल के बनते है। 
  3. ग्लाइकोलिसिस एक ऑक्सीजन क्रिया है जिसमे प्रत्येक ग्लूकोज के अणु ऑक्सीजन से 2 ATP अणुओ का लाभ होता है। 
  4. श्वसन की यह क्रियाऐ कोशिका द्रव्य में सम्पन्न होती है। इसमें O2की आवश्यकता नहीं होती। 

2 . क्रेब्स ट्राईकार्बोआक्सीलिक चक्र - यह क्रिया माइटोकांड्रिया की क्रिस्टी की झिल्ली में सम्पन्न होती है।क्रेब्स चक्र की विभिन्न एक च्रकीय क्रम में होती है। इस क्रिया के आविष्कार बिटिश वैज्ञानिक क्रेब 1937 थे। उन्ही के नाम पर इस चक्र का नाम क्रेबचक्र रखा गया। 

इस क्रिया में साईट्रिक अम्ल ओर अन्य कार्बोआक्सीलिक मूलक COOH वाले कार्बनिक अम्ल बनते है। और अपघटित हप्ते है इसलिए इसे साईट्रिकअम्ल चक्र या ट्राईकार्बोआक्सीलिकT TCA चक्र भी कहाँ जाता है 

पाइरुविक अम्ल बनने से लेकर क्रेब्स चक्र तक की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित है -

  • यह क्रिया माइटोकांड्रिया में सम्पन्न होती है। 
  • इस क्रिया में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। 
  • पाइरुविक अम्ल से क्रेब्स चक्र की शुरुआत ;तक अम्ल के प्रत्येक अनु से एक हाइड्रोजन तथा एक CO2 का अणु मुक्त होता है।
  • क्रेब्स च्रक में एक पाइरूविक अम्ल से पाँच H2 हाइड्रोजनके अणु मुक्त होते है तथा 2CO2 का निर्माण होता है।  अतः इस क्रिया में कुल 12 हाइड्रोजन अणु और 6 CO2 ले अणु मुक्त होते है।
  • इस क्रिया में पाइरुविक अम्ल के १ अणु के ऑक्सीजन से 30 ATP के अणुओ का निर्माण होता है। 

3. इलेक्ट्रॉन परिवहन शृंखला - इस क्रिया में मुक्त होने वाले सभी एंजाइम माइटोकॉन्डिया के कणो में पाये जाते है।  यह सम्पूर्ण क्रिया इलेक्ट्रॉन संवहन तंत्र कहलाती है। 

 

 

Enjoyed this article? Stay informed by joining our newsletter!

Comments

You must be logged in to post a comment.

About Author