संघ एस्केलमिन्थीज (Phylum-Aschelminthes)

गैगेनबॉर ने निमैथिलमिथिज शब्द का प्रयोग 1859 में किया ऐस्केलमीथीज शब्द का प्रयोग ग्रोबन ने 1910 में किया निमेटोडरस के अध्ययन को निमेटोलॉजी कहते है।

प्रमुख लक्षण (important Characters)

इस संघ के सदस्य त्रिस्तरीय, द्विपार्श्व सममिति वाले तथा कूट देहगुहीय प्राणी है। इनमे बहुकेन्द्रकी बाह्यत्वचा पाई जाती है। ये नलिका के भीतर नलिका शरीर संरचना प्रस्तुत करते है।

इनमे उत्सृजन यूरिया उत्सग्री प्रकार का होता है।  इनमे श्वसन अंग एवं परिवहन तंत्र अनुपस्थित होते है। ये प्रायः एकलिंगी होते है और इनमे प्रजनन केवल लैंगिक प्रकार का होता है।

वर्गीकरण (Classification)

संघ-निमैथेलमिन्थीज को इनके संवेदांग पश्चको के आधार पर दो वर्गो में बांटा गया है।

वर्ग- एफेज्मिडिया (Aphagmidia) पुच्छीय संवेदांग तथा उत्सर्जी अंग अनुपस्थित होते है किन्तु अग्र भाग में भिन्न प्रकार के पश्चक पाए जाते है उदाहरण ऐस्कैरिस, ट्राइकाइनेला, रहेबडीटीस ऑक्सीयूरिस एन्साइक्लोस्टोमा वूचेरेरिया।

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