संघ -पोरिफेरा के मुख्य लक्षण एवं वर्गीकरण

संघ -पोरिफेरा( Phyium-Porifera ) -

पोरिफेरा शब्द का प्रयोग सबसे पहले रॉबर्ट ग्रान्ट ( Robert grant ) ने 1825 में किया था। संघ पोरीफेरा ( छिद्र  युक्त जंन्तु ) में स्पंजों में रखा गया है। जोन इलिस ने 1765 में स्पंजों की जंतु प्रवृति के बारे में बताया। स्पंजों के अध्ययन को पैराजुलॉजी कहते है। इनका शरीर गठन कोशिकीय स्तर का होता है। 

मुख्य लक्षण (Main Characters )

सभी जलीय,अधिकांश समुद्री ,बहुत कम स्वच्छ जलीय एकल या सामूहिक होते है। इनका शरीर छिद्रयुक्त (porous) होता है। छिद्र दो प्रकार के होते है। स्पंजों के शरीर की मध्य शरीर गुहा ,स्पंज गुहा (Spongocoel) या (Paragastric Cavity) कहलाती है। स्पंजों को वास्तविक बहुकोशिकीय प्राणी या मेटाजोआ नहीं माना जाता है क्योंकि इनकी कोशिकाएं ऊतकों का निर्माण नहीं करती है। जन्तुओ में नाल तंत्र केवल स्पंज में पाया जाता है 

कीप कोशिकाओं या कोएनासाइट्स  ( collar call or choanocytes) की उपस्तिथि स्पंजों का एक विशिष्ट गुण है। 

सभी स्पंजों में लैंगिक व अलैंगिक दोनों प्रकार का जनन होता है। स्पंजों का कंकाल कंटिकाओ (spicules)या स्पंज तंतुओ अथवा दोनों का बना होता है। स्पंज का कंकाल स्पंज अमोनिया उत्षर्गी (ammonotelic)होते है। भूणीय विकास में पैरेंकईमुला या एम्फीब्लास्टुला अवस्था पाई जाती है। 

वर्गीकरण सभी स्पंजों में लैंगिक व अलैंगिक दोनों प्रकार का जनन होता है। स्पंजों का कंकाल कंटिकाओ (spicules)या स्पंज तंतुओ अथवा दोनों का बना होता है। स्पंज का कंकाल स्पंज अमोनिया उत्षर्गी (ammonotelic)होते है। भूणीय विकास में पैरेंकईमुला या एम्फीब्लास्टुला अवस्था पाई जाती है। 

वर्गीकरण (classification)

कंकाल के आधार पर संघ -पोरिफेरा को तीन वर्गों में विभाजित किया है 

  • कैलकेरीआ (kalcarea) उदाहरण साइकॉन, ल्यूकोसोलिनीय। 
  • हैक्सेएक्टिनेलिडा  (Hexactinellida)या हैलोस्पॉनजीआई 

 (Hyalospongiae) उदाहरण युप्लैकटेला। 

  • डिमोस्पोन्जी (demospongiae)- उदाहरण स्पांजीला ,स्पॉन्जीया। 

 

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