प्रगतिवाद की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

'राजनीतिक क्षेत्र में जो साम्यवाद है, वह काव्य के क्षेत्र में प्रगतिवाद है। " प्रगतिवादी काव्य की संज्ञा उस कविता को प्रदान की गई जो छायावाद के समापन काल में सन 1936 के आस-पास सामाजिक चेतना  अग्रसर हुआ। प्रगतिवाद कविता में राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक शोषण से मुक्ति का स्वर प्रमुख है। इस कविता पर माक्सर्वाद का प्रभाव है। रूप के नए संविधान और सन 1905 में लखनऊ में भारती प्रगतिशील लेखक संघ की प्रेमचंद्र की अध्यक्षता में हुई सभा इसके विकास-क्रम के महत्वपूर्ण सोपान है।

प्रगति शब्द का अर्थ है -चलना, आगे-बढ़ाना। अर्थात यह वह वाद है जो आगे बढ़ने में विशवास रखता है।  प्रगतिवाद में साम्यवादी दृष्टिकोण को साहित्यिक विचाधारा के रूप में स्वीकार किया गया है।

प्रगतिवाद की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

'दर्शन में जिसे द्वंद्वात्मक भौतिक विकासवाद माना गया है, राजनीति में जो साम्यवाद है ,वही साहित्य में प्रगतिवाद है।  

  •  . धर्म ,ईश्वर एवं परलोक का विरोध है समाज में वर्ग -संघर्ष को समाप्त करने के लिए भाग्यवादिता की मान्यता को नष्ट करना होगा।
  • पूँजीपति वर्ग के प्रति घृणा का प्रचार प्रगतिवादी कलाकारों ने किया है। 
  • शोषित वर्ग की दीन -हीन का यथार्थ वादी चित्रण करके ही दोनों वर्गों का भेद स्पस्ट किया है। 
  • नारी के प्रति यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाया गया है। उसे रूपसी, नायिका या राज - वैभव में पलने वाली राजदुलारी नहीं, वरन मजदूरी करने वाली कृषक ललना के रूप में चित्रित किया है।
  • सरल शैली को अपनाकार अपनी रचनाओं को जन-साधारण तक पहुँचाना ही इस प्रवृत्ति का उद्देश्य रहा है।

प्रगतिवाद के प्रमुख कवि एवं उनकी प्रमुख रचनाएँ

निराला, सुमित्रानंदन पंत, नरेंद्र शर्मा, भगवतीचरण वर्मा के अतिरिक्त आधुनिक कवियों में सबसे अग्रणी नाम रामधारीसिंह दिनकर का है। इनके बाद बालकृष्ण शर्मा नवीन, शिवमंगल सिंह 'सुमन' रामेश्वर शुक्ल 'अंचल', नागार्जुन, त्रिलोचन, केदारनाथ सिंह केदारनाथ अग्रवाल, शमशेर बहादुर सिंह आदि प्रगतिवादी कवि हुए।

1. नागार्जुन - युगधारा, सतरंगे, सतरंगे पंखो वाली, प्यासी पथराई आँखे।

2. सुमित्रानंदन पंत- सुगवानी, ग्राम्य।

3. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - कुकुरंत्ता।

4. केदारनाथ अग्रवाल - युग की गंगा, फूल नहीं रंग बोलते है, नींद के बादल।

5. शिवमंगल सिंह सुमन - हिल्लोल, जीवन के गान, प्रलय सृजन, विश्वास बढ़ाना ही गया।

6. त्रिलोचन- धरती, मिही की बारात, मै उस जनपद का कवि हूँ।

7. रांगेय राघव - अजेय खण्डहर, मेधावी, पांचाली, राह के दीपक।

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