प्राथमिक एवं द्वितीयक सेल में अंतर

प्राथमिक सेल वे सेल कहलाते है जिसमे रासायनिक अभिक्रिया केवल एक बार होती है अर्थात इन सेलो को केवल एक बार चार्ज किया जा सकता है प्राथमिक सेल का एक बार उपयोग होने के बाद अनुप्रयोग नहीं किया जा सकता है।

उदाहरण :- मरकरी सेल, डेनियल सेल आदि।

वह सेल जिसमे विधुतधारा का प्रवाह द्वारा पुनः आवेशित किया जा सकता है उन्हें द्वितीयक सेल कहते है।

उदाहरण :- इन्वेटर की बैटरी, मोबाईल की बैटरी, चार्जर लाइट आदि।

प्राथमिक सेल तथा द्वितीयक सेल में अंतर 

क्र. विसरण परासरण
1. इनसे केवल बाह्य परिपथ में धारा ली  है अर्थात इन्हे केवल निरावेशित किया जा सकता है।  इनसे बाह्य परिपथ में धारा ली जा सकती है तथा इनमें होकर भी धारा बहायी जा सकती है अर्थात इन्हे निरावेशित तथा आवेशित दोनों किया जा सकता है।
2. इन सेलो में रासायनिक क्रिया अनुत्क्रमणीय होती है।  इन सेलो में रासायनिक क्रिया उत्क्रमणीय होता है। 
3. इनमें केवल रासायनिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदला जाता है।  इनमें आवेशन के दौरान विधुत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदला जाता है तथा निरावेशन के दौरान रासायनिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदला जाता है।
4. इनसे अधिक प्रबल धारा नहीं प्राप्त की जा सकती है।  इनसे प्रबल धारा ली जा सकती है। 
5. उदाहरण -साधारण वोल्टीय सेल, लेक्लांशी सेल। उदाहरण - सीसा संचायक सेल, नी-फे सेल।
6.  इन्हे उपयोग करना आसान है।  प्राथमिक सेल की तुलना द्वितीयक सेल का उपयोग करना कठिन है। 
7.  प्राथमिक सेल कम कीमत वाले होते है। द्वितीयक सेल प्राथमिक सेल की तुलना में मेंहगे होते है।
8. यह सेल कम समय तक चलते है। यह सेल अधिक समय तक चलते है।
9. प्राथमिक सेल को डिस्चार्ज होने के बाद पुनः चार्ज नहीं किया सकता है।  इन्हे आसानी से चार्ज किया जा सकता है।

 

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