रक्त के कार्यो का वर्णन

रक्त -

रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है, जो परिसंचरण तंत्र में भ्रमण करता रहता है।  इसका अंतरकोशिकीय पदार्थ या मैट्रिक्स हल्के पीले रंग के द्रव के रूप में रहता है जिसे प्लाज्मा कहते है, इसमें ऊतक की कणिकाएँ तैरती रहती है।  संरचनात्मक रूप से प्लाज्मा और रक्त कणिकाओं का बना होता है।

रक्त के कार्य -

1. यह ऑक्सीजन को फेफड़ो से ऊतकों तक और कार्बन डाइऑक्साइड को ऊतकों से फेफड़ो तक पहुंचाता है।

2. रूधिर और लसीका तंत्र बहुत से उपापचयी अपशिष्ट पदार्थो तथा विषैले उत्पादों को उत्सर्जन के लिए वृक्क में ले जाते है।

3. रूधिर तथा लसीका ऊतकों की कोशिकाओं तथा परिसंचरण तंत्र बीच माध्यम का कार्य करता है।

4. रूधिर हार्मोन जैसे रासानिक पदार्थो को शरीर में उत्पादन स्थलों से आवश्यक स्थानों पर ले जाता है जहाँ वे वृद्धि एवं विकास को नियमित करते है।

5. परिसंचरण तरल अर्थात रूधिर ताप का विसरण कर देता है और इस प्रकार यह शरीर के तापक्रम को स्थिर रखता है।

6. रूधिर का थक्का जमाने वाले घाव का उपचार करने वाले तथा संक्रमण एवं रोगो से लड़ने वाले पदार्थ भी रूधिर द्वारा ही स्थांतरित होते है।

7. रक्त शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है।

8. रक्त शरीर की प्रत्येक कोशिका तक ऑक्सीजन पहुँचता है।

9. रक्त पूरे शरीर में पोषक तत्वों एवं हार्मोन्स को एक परिवहन करता है।

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