संघ आर्थ्रोपोडा के प्रमुख लक्ष्ण एवं वर्गीकरण

संघ -आर्थ्रोपोडा (phylum-arthropoda)-

वॉन सीबाल्ड ने 1845 में आर्थ्रोपोडा संघ का नाम दिया। आर्थ्रोपोडा जंतु जगत का सबसे बड़ा संघ है इसमें लगभग 9 लाख जातिया है। संम्पूर्ण जंतु जगत में आर्थ्रोपोडा  संघ के जन्तुओ की सबसे अधिक संख्या कीट वर्ग (classs-Insecta) में है।

प्रमुख लक्षण (ImportantCharacters)-

आर्थोपोडा संघ के जन्तुओ में काइटिन युक्त क्यूटिकल का बना बाह्य कंकाल पाया जाता है। इनमें परिसंचरण तंत्र खुले प्रकार का होता है और रुधिर से भरी एक हीमोग्लोबिन गुहा पाई जाती है। इनमे रुधिर का रंग नीला होता है। यह नीला रंग रुधिर वर्णक हिमोसायनिन की उपस्थित के कारण होता है, जिसमे कॉपर उपस्थित होताहै। जंतु द्विपाश्र्वीय, त्रिस्तरीय एवं यूसीलोमेट होते है।

जलीय जंतु में श्वसन क्लोम (gills) या पुष्तक क्लोम (book gills)  तथा स्थलीय जन्तुओ में श्वासनलियों (trachea ) या बुक लंग्स (book lungs) से होता है इनमे उतसर्जि अंग ग्रीन ग्रंथियों या मैल्पीघियां नलिकाएं (Malpighian tubules) होती है। कुछ में कोक्सल ग्रंथि पाई जाती है।

ये जंतु, एकलिंगी होते है इनमे लैंगिक द्विरूपता प्रदर्शित करते है तब इनमे निर्मोचन पाया जाता है। जीवन चक्र में कई लार्वा अवस्थाए पाई जाती है ; जैसे - नयूपलियम,ामेगालोपाअ, एलीमा आदि।  इनमे निषेचन आंतरिक होता है इनमे सरल नेत्र- ऑसिलाइ प्रकाश ग्रहण करते है तथा संयुक्त नेत्र दृष्टि के लिए होते है। कुछ आर्थोपोड्र्स विशेषकर कीट फीरोमोन स्रवित करते है। कुछ जन्तुओ में अनिषेकजनन पाया जाता है, उदाहरण मधुमक्खी।

वर्गीकरण (Classificatino)

शरीर विभाजन तथा कुछ उपांगो की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर संघ-आर्थोपोडा को चार उपसंघो में विभाजित किया गया है।

(I) उप-संघ -टाइलोबाइटोमोरफा 

उदाहरण डेलमेनाइट्स, ट्राईआर्थोस 

(II) उप- संघ- केलिसिराइटा

(I) वर्ग-मीरोस्टोमेटा उदाहरण लिम्यूलस 

(II) वर्ग एरैकनाइडा उदाहरण बिच्छू मकड़ी 

(III) उप -संघ -मेंडीबुलेटा

(a) वर्ग-क्रस्टेशिया उदाहरण क्रे फिश, केकड़ा, झींगा 

(b) वर्ग इन्सेकटा उदाहरण कॉकरोच, मक्खी, मच्छर, टिड्डी 

(c) वर्ग डिप्लोपोडा उदाहरण स्पाइरोबोल्स जूलस

(d) वर्ग-काइलोपोडा 

उदाहरण स्कोलोपेण्ड्रा, कानखजूरा या शतपाद

(e) वर्ग- सिम्फाईला उदाहरण स्कूटीजेरेला 

(f) वर्ग- पोरोपोडा उदाहरण पौरोपस 

(IV) उप- संघ- ओनाइकोफोरा उदाहरण परिपेटस

घरेलू मक्खी- मस्का नेब्यूलो (musca nebulo)-घरेलू  मक्खी की कई जातिया -मस्का नेब्यूलो भारत में,मस्का विसिनिया एशिया व् अफ्रीका में पाई जाती है। घरेलू मक्खी के सिर पर दो संयुक्त नेत्र होते है ( प्रत्येक में लगभग 4000 नेत्रांशक होते है ) इनका शरीर- सिर वृक्ष व् उदार में बता रहता है।

इसके मुख पूर्व छिद्र के चारो ओर प्रीस्टलीयम दाँत लगे रहते है इनमे मुखांग स्पंजी प्रकार के होते है। वृक्ष में तीन जोड़ी टाँगे होती है।

नर में अंतिम खंड में एक जोड़ी आलिंगक (claspers) होते है तथा मादा में एंड निक्षेपक (ovipositor) कहते है। नर व मादा मक्खियाँ पृथक होती है। इनका जन्म काल मार्च- अप्रैल से अक्टूबर तक होता है। 

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