शैवालों का आर्थिक महत्त्व क्या है

शैवाल एक सरल जीव है अधिकांश शैवाल पौधे के समान सूर्य के प्रकाश की उपस्तिथि में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वंय बनाते है अर्थात स्वपोषी होते है शैवाल नम भूमि, अलवणीय जल, वृक्षों की छाल, नम दीवारों एवं कुछ काली परतो पर देखने को मिलते है।

शैवालों की निम्नलिखित करिये होती है

(1 ) लाभदायक क्रियाएँ ) ( Economic lmportanse of Algae)

( a ) भोजन के रूप में ( As food )- अल्वा नामक हरित शैवाल को जापान में शाक के रूप में उपयोग में लाया जाता है। क्लोरेला एककोशिकीय हरित शैवाल है, जिसमे प्रोटीन, विटामिन - A  तथा D प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। स्पाइरुलीना एक नील हरित शैवाल है, जिसमे प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है तथा इसे खाने के काम में लाया जाता है पोरफायश लाल शैवाल की जातियों में विटामिन - C और B12 पाए जाते हैं।

( b ) उधोगों में शैवालों का महत्त्व (I mportance of algae in industries )

उधोगों में निम्न प्रकार से शैवालों का उपयोग होता है 

  • अगार-अगार ( Agar-Agar ) यह एक कोलॉइडी पदार्थ है, जो ग्रेसिलेरिया तथा जेलिडियम नामक लाल शैवाल की जातियों से प्राप्त किया जाता है।  अगार-अगार सूक्ष्मजीवियों के संवर्धन माध्यम के रूप में उपयोग होता है।
  • एल्जिन ( Algin )यह अलेरिया तथा लेमिनेरिया नामक भूरे शैवालों से प्राप्त किया जाता है यह आइसक्रीम में बड़े क्रिस्टलो को बनाने से रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह बेंकिग रबड़ तथा पेन्ट उधोगों में फैसीकरण तथा निलंबन के लिए उपयोग होता है।
  • करजीनिन (Carragenin ) यह लाल शैवाल कोंड्रस क्रिस्प्स आइरिश मांस से प्राप्त किया जाता है। यह आइसक्रीम में बड़े क्रिस्टलों को बनाने से रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह बेंकिग रबड़ तथा पेण्ट उधोगों में फायसीकरण तथा निलंबन के लिए उपयोग होता है। 
  • डायटम के उपयोग ( Uses of diatoms ) डायटम बेसिलेरियोफाइसी का सदस्य की कोशिका भित्ति में सिलिका डाइऑक्साइड ( Sio2 ) प्रचुर मात्रा में होता है। / डायटम की मृत्यु के बाद कोशिका भित्ति तथा सिलिका जलाशयों की ताली पर एकत्रित होकर डेटमी मृत्तिका (diatomaceous earth ) या किसेलघर बनाते है।

जिसके निम्नलिखित उपयोग है। 

डायटम मृत्तिका का उपयोग बॉयलरों तथा भट्टियों में ऊष्मा रोधन के लिए किया जाता है। यह दाँतो के पेस्ट में तथा चाँदी के आभूषण चमकाने में प्रयोग किया जाता है। यह नाइट्रोग्लिसरीन का अवशोषण करके उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए प्रयोग की जाती है इसको चीनी मिलो में निस्पंदन के लिए प्रयोग करते है।

  • आयोडीन का उत्पादन ( Production of iodine ) कुछ भूरे शैवाल जैसे लेमिनेरिया एस्कोफिल्म तथा एकलोनिया नाम के केल्प से आयोडीन प्राप्त करते है, जिसे गलगण्ड की दवाओं में प्रयोग करते है। क्रोसिसीट्स तथा नेरियोसिस्टिस में पोटाश पाया जाता है। 
  • ब्रोमीश उत्पादन ( Production of bromine ) - कुछ साल शैवाल ; जैसे - रोडीमेलिया तथा पोलिसफोरिया से ब्रोमीन प्राप्त किया जाता है।
  • फ्युनोरी ( Funnori ) यह गलॉयोपेटिस नामक शैवाल से प्राप्त किया जाता है। यह एक पदार्थ है।
  • कृषि में महत्व ( Impoirtance in agricultre ) खाद के रूप में (As manure ) फ्यूक्स, सारगैस्म तथा मेक्रोसिस्टिम आदि भूरे शैवालों का खाद के रूप में प्रयोग करते है, यह मृदा की उर्वरकता को बढ़ाते है।

नाइट्रोजन स्थिरीकरण ( Nitrogen fisation ) कुछ नीले हरे शैवाल, जैसे एनाबीना, नॉस्टॉक, ओलोसिरा वायुमंडल की नाइट्रोजन का स्थरीकरण करके मृदा की उर्वरकता को बढ़ाते है। यह शैवाल अधिकतर चावल के खेतो के पानी में पाए जाते है।

(d) प्रतिजैविक ( Antibiotigen ) क्लोरेला से क्लोरेला से क्लोरेलिन नामक प्रतिजैविक प्राप्त किया जाता है, जो ग्राम धनात्मक (+) तथा ग्राम ऋणात्मक (-) जीवाणुओं के विरूध्द उपयोगी होते है।

(e) डिम्भनाशी (Larvibiotics algae) ओलोसिरा, एनाबीना, कारा तथा नाइटेला शैवाल डिम्भनाशी होते है तथा मच्छरों के उन्मूलन में सहायक होते है।

(f) आनुवंशिक अनुसंधानों में (In gennetical) प्रकाश- संश्लेषण की क्रियाओ को आधुनिक क्लोरेला नामक शैवाल जैसे - एसीटेबुलेरिया तथा अनुसंधानों पर आधुनिक क्लोरेला नामक शैवाल पर किए प्रयोगों तथा अनुसंधानों पर आधारित है। कुछ शैवाल जैसे - एसीटेबुलेरिया तथा वेलोरिया आदि केन्द्रक तथा जीवद्रव्य के आपसी संबंधो की खोज में प्रयोग लिए जाते है।

(g) ऑक्सीकरण जलाशय में उपयोग (Use in oxidation pond) वाहितमल के ऑक्सीकरण के लिए जलाशयों में क्लोरेला सिंदेसंस, पेडियासत्रम तथा ऑसिलेटोरिया आदि शैवाल ऑक्सीजन उतपन्न करते है। यह जलाशय सहजीविता का उदाहरण है।

(2)हानिकारक क्रियाएँ (Harmful Activies)  

(a) जल प्रस्फुटन (Water bloom) कुछ नीले-हरे शैवाल अत्यधिक वृद्धि करके शैवाल पानी की सतह पर झाग के रूप में फ़ैल जाते है इसे जल प्रस्फूटन कहते है उदाहरण माइक्रोसिस्टिम, लिंगबाया, फरमीडियम इन शैवालों के कारण जल में छोड़ने के कारण जानवर तथा जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है।

(b)परजीवी शैवाल (Parasitic algae) सिफेल्युरॉस वायरिसेन्स एक हरा शैवाल है, जो चाय तथा कॉफ़ी की पत्तियों पर परजीवी की तरह रहते है तथा उन्हें हानि पहुंचाते हैं। 

Enjoyed this article? Stay informed by joining our newsletter!

Comments

You must be logged in to post a comment.

About Author