सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय

जीवन परिचय - 

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला एक युगांतकारी कवि है।  छायावाद के प्रमुख स्तम्भ और आधुनिक काव्य में क्रान्ति के अग्रदूत निराला का जन्म मेदिनीपुर के महिषादल राज्य में सन 1899 में हुआ था। इनके पिता रामसहाय त्रिपाठी महिषादल राज्य के कर्मचारी थे। इस प्रकार निराला जी का वचपन बंगाल की शस्य केवल मैट्रिक तक हुई कालांतर में उन्होंने हिंदी, संस्कृत, उर्दू तथा अंग्रेजी भाषा तथा कालांतर में उन्होंने हिंदी संस्कृत उर्दू तथ अंग्रेजी भाषा तथा साहित्य का बहुत अच्छा ज=ज्ञान प्राप्त कर लिया।  निरालाजी का जीवन दुःख और संघर्षो में ही बीता।  जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने कलकत्ता में रामकृष्ण आश्रम में रहकर समन्वय का कार्य किया।  मतवाला एवं सुधा का सूर्यकांत त्रिपाठी निराला सम्पादन किया। 15 अक्टूबर 1961 को इलाहाबाद में इनका स्वर्गवास 

साहित्य सेवा

निराला जी का साहित्य बहुमुखी और विपुल है उन्होंने कविता, उपन्यास, कहानियाँ निबंध, रेखाचित्र, जीवनियाँ, आलोचनात्मक निबंध आदि सभी कुछ लिखे है। निराला का काव्य दार्शनिक विचारधारा, गंभीर चिंतन और भाव सौंदर्य की अमूल्य निधि है। विवेकानंद का प्रभाव उन पर सुस्पष्ट है। उनके काव्य में कही कथा मुखर है तो कही गीत माधुरी।

रचनाएँ

समर्थ कवि होने के साथ-साथ निराला ने उपन्यास, कहानियाँ, रेखाचित्र नाटक, जीवनियाँ और निबंधों की रचना की।  अंग्रेजी, बंगला तथा संस्कृत के ग्रंथो के अनुवाद भी किये। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित है 

(1) कविता संग्रह - अनामिका, परिमल, गीतिका, बेला नए पत्ते अणिमा, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, सरोज- स्मृति, राम की शक्ति पूजा, राग विराग अर्चना, आराधना।

(2) गद्य-साहित्य -चतुरी चमार, प्रभावती, बिल्लेसुर बकरिहा, चोरी की पकड़, काल कारनामे।

(3) रेखाचित्र- कुल्ली भाट। 

(4)निबन्ध-संग्रह - प्रबंध पद्य, प्रबंध प्रतिमा, चाबुक, प्रबंध परिचय, रवि कविता कानन।

(5) जीवनियाँ- ध्रुव, भीष्म, राणा प्रताप

(6) अनुवाद- आनंद पाठ, कपाल कुंडला, चंद्रशेखर, दुर्गेश नंदिनी रजनी, देवी, चौधरानी, राधारानी, विष वृक्ष, राजसिंह, कृष्णकांत का दिल महाभारत युग लांगुलीय।

(7) सम्पादन - समन्वय, मतवाला पत्रिका।

(8) संग्रह- निराला रचनावली (आठ खंडो में प्रकाशित ).

राम की शक्ति पूजा, तुलसीदास उनकी लम्बी कविताये है जो अपनी विशिष्टताओं के कारण खंडकाव्य मानी गई है।  सरोज स्मृति हिंदी का सर्वश्रेष्ठ शोकगीत माना गया है।

भाव पक्ष                                        

(1) प्रेम और सौंदर्य

(2) भक्ति एवं रहस्य भावना

(3) प्रकृति चित्रण

(4) राष्ट्रीयता 

(5) प्रगतिवादी दृष्टिकोण

कला पक्ष

(1) भाषा

(2) शैली

(3) अलंकार-योजना

(4) छंद-योजना

Enjoyed this article? Stay informed by joining our newsletter!

Comments

You must be logged in to post a comment.

About Author