टेरिडोफाइटा संघ pteridophyta

टेरिडोफाइटा संघ (pteridophyta) -

टेरिडोफाइटा में वास्तविक सवहन ऊतक उपस्थित होते है। इसलिए इन्हे सवहनी कहते है। इन पौधों में बीजाणु बनते है। तथा बीज व् पुष्प नहीं बनते है इसलिए इन्हे बीज रहित तथा पुष्प  रहित पादप भी कहते है. टेरिडोफाइटा अधिकतर  स्थलवासी है। तथा नम व छयादार जगहों पर उगते है कुछ टेरिडोफाइटा जलिये है। जैसे -एजोला,साल्वीनीय, मारसीलिया कुछ पौधे अधिपादक है। जैसे -लाइकोपोडियम फेल्गमेरिया। अधिकतर  टेरिडोफाइटा शाकीय होते है। तथा कुछ वृक्ष की तरह है ;जैसे -एलसोफीला, सैंथिया जिन्हें वृक्ष फर्न कहते है।  सबसे छोटा टेरीडोफाइट एजोला है तथा सबसे बड़ा एलासोफिला या सायेथिया है। 

मुख्य स्वतंत्र पौधों बिजनउद्भिद होता है, जो वास्तविक जड़, तना तथा पत्तियों में विभेदित होता है इनमे संवहन ऊतक; जैसे- जाइलम व फ्लोएम पाए जाते है।  परन्तु वाहिकाओं तथा सहचर कोशिकाओं का अभाव होता है।  बीजाणुधारियों (sporangia)  अर्द्धसूत्री विभाजन  अगुणित बीजाणु बनते है. बीजाणुधानियाँ बहुकोशिकीय (multicellular) होता है 

इनके विकास के आधार पर टेरीडोफाइट दो प्रकार के होते है 

1. लेप्टोस्पोरेनजिएट बीजाणुधानी का विकास केवल एक कोशिका से होता है; उदाहरण ड्रायोप्टेरिस, टेरिस तथा मारसिलिया। ।

2. यूस्पोरेनजिएट बीजाणुधानी विकास एक अधिक कोशिकाओं से होता है; उदाहरण सिलेजिनेला, इक्वीसीटम तथा लाइकोपोडियम।

बीजाणुधानियाँ कुछ टेरिदाफाइट्स में पत्तियों की निचली सतह पर पाई जाती है, जिन्हे बीजाणुपर्ण कहते है कुछ टेरीडोफाइट्स में बीजाणुधानी शंकु बनाती है;  सिलेजिनेला, इक्वीसीटम तथा लाइकोपोडियम।

बीजाणु अगुणित होते है तथा अंकुरित होकर युग्मकोद्भिद बनाते है जो प्रोथैलस कहलाता है। प्रोथैलस सरल, स्वतत्र तथा स्वपोषी होता है। समबीजाणुक टेरीडोफाइट्स में प्रोथेल्स पूर्ण विकसित उभयलिंगश्री तथा एक्सस्पोरिक होता है परतु विषमबीजाणुक टेरीडोफाइट्स में प्रोथैलस कम विकसित एकलिंगश्रयी तथा एंडोस्पोरिक होता है।

नर जनन अंग पुंधानी व मादा जनन अंग स्त्रीधानी या निषिक्ताण्ड बनता है, जो भ्रूण वृद्धि करके बीजानुद्भिद बनाता है।  टेरियोफाइट्स में विषमरूपी पीढ़ी एकान्तरण पाया जाता ह

वर्गीकरण  (Classification)-

ओसवाल्ड टिप्पो (Oswald tippo) ने संवहनी पौधों को ट्रेकिएटा संध में रखा तथा ट्रेकिएटासंघ को चार उपसंघो में विभाजित किया जिनके नाम तथा विभेदी लक्षण निम्न है।

उप-संघ साइक्लोप्सिडा (Psilosida )

(1) यह सरल तथा प्राचीनतम संवहनी पादप है, जो पेलियोजोइक कल्प के सिलुरियन तथा डेवोनियम काल में उतपन्न हुई है।

(2) पत्तियों तथा वास्तविक जड़ अनुपस्थित होते है।

(3) कंद तथा वायवीय भाग द्विभाजिशाखित होते है।

उप-संघ लाइकोप्सिडा (Lycopsida)

(1) यह पेलियोजोइक कल्प के डेवोनियन काल में विकसित हुए। /

(2) बीजानुद्भिद पौधा जड़, तना पत्तियों में विभेदित होता है। 

(3) कुछ वंश समबीजाणुक तथा विषमबीजाणुक होते है उदाहरण लाइकोपोडियम, सिलेजिनेला 

उप संघ-स्फेनोप्सिडा (Sphenopsida )

(1) पौधों में तना पर्व संधियों तथा पर्वो में विभेदित होता है।

(2) पर्व संधि पर शल्कीय पत्तियों तथा शाखिए वलयो में पाई जाती है शल्क पात्र आपस में संयुक्त होकर पर्वो के निचले भागों को ढके रहते है।

(3) बीजाणुधानियाँ बीजाणुधानिधारो पर स्थित होते है, जो मिलकर एक संहत संरचना, शंकु बनाते है. उदाहरण इक्वीसिटम।

उप-संघ- टेरोप्सिडा (Pteropsida)

(1) मुख्य बीजाणुदभिद पौधा जड़, तना तथा पत्तियों में बी=विभेदित होता है। 

(2) पत्तियाँ बड़ी होती है।

3) बीजाणुधानियो का विकास लेप्टोस्पोरेनजिएट होता है उदाहरण ड्रायोप्टेरिस, टेरिस, टेरिडियम, मारसिलिया।

 

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