वायु प्रदूषण से आप क्या समझते है? वायुप्रदूषण के प्रकार भी बताइये।

वायु प्रदूषण से तात्पर्य तथा परिभाषा -

वायुमंडल एक गैसीय आवरण है जो पृथ्वी के चारो ओर से घिरे हुये है। तथा वायु अनेक गैसों का यांत्रिका मिश्रण है। इनमे नाइट्रोजन (78.09%) ,ऑक्सीजन (20.95%) ,ऑर्गन (0.93%)तथा कार्बनडाई आक्साइड (0.03%) का योगदान अघिक है। इनके आलावा निऑन केप्टोन ,हीलियम ,हाइट्रोजन ,जेनना ,आजोन आदि गैस भी वायुमण्डल में मौजूद है। जीवमंडल में वायु का सभी जीवधारियो के लिए अत्यधिक महत्व है।   

मानव जीवन तो वायु के बिना असंभव है ,क्योकि मनुष्य आहार के बिना कुछ सप्ताह तक अथवा बिना जल के कुछ दिन तक तो जीवित रह सकता है तथा वायु के बिना कुछ मिनट तक भी जीवित नहीं रह सकता है। एक व्यक्ति प्रतिदिन जितनी वस्तुओं को ग्रहण करता है।  उसका लगभग 80% वायु का होता है एक व्यक्ति प्रतिदिन 22,000 बार सांस लेता है। अथवा 16 किलोग्राम वायु का सेवन करता है। 

वायु प्रदूषण के प्रकार -

यह निम्न प्रकार के होते है -वायु प्रदूषण का वगीकरण दो आधारों पर किया जा सकता है। -(1) प्रदूषको के प्रकार के आधार पर तथा (2) प्रदूषको के स्त्रोत के आधार पर-

वायु के प्रदूषकों के आधार पर समान्य तौर पर वायु प्रदूषण को दो प्रमुख प्रकारो में विभाजित किया जाता है -

(अ) गैसीय वायु प्रदूषण तथा (ब) कणिकीय वायु प्रदूषण। प्रदूषको के स्रोत पर के आधार पर वायु प्रदूषण को निम्न प्रकारो में विभाजित किया जाता है -

  • स्वचालित वाहनों से जनित वायु प्रदूषण ,
  • आधौगिक वायु प्रदूषण ,
  • तापीय वायु प्रदूषण ,
  • नगरीय वायु प्रदूषण ,ग्रामीण 
  • ग्रामीण प्रदूषण कातथा 
  • नाभिकीय वायु प्रदूषण। वायु प्रदूषण का विवेचन कई रूपों जा सकता है

जैसे - (1)  वायु प्रदूषकों के आधार पर,(2) प्रदूषण के स्रोत आधार पर आदि। वायु प्रदूषण में एक से अधिक प्रदूषको का हाथ रहता है अतः प्रमुख प्रदूषक को अलग करना कठिन हो जाता है। 

(1) कार्बन मोनोक्साइड तथा वायु प्रदूषण - कार्बन मोनोक्साइड (CO) का जनन से जीवाश्म ईंधनों तथा लकड़ी के कोयले के अपूर्ण जलाने से होता है। कई प्रकार के दहन इंजनों से भी कार्बन मोनोक्साइड की उतपत्ति होती है।

(2) कार्बन डाइआक्साइड तथा वायु प्रदूषण - कार्बन डाईआक्साड (CO2) गैस आपने आप में हानिकारक नहीं होती है। वरन यह महत्वपूर्ण संसधान है। क्योंकि हरे पौधे CO2 के माध्यम से अपना निर्मित करते है। वायुमंडल में CO2 के सांद्रण में वृध्दि होने से निम्न परिणाम होते है। 

(3) कोक्लोरोफ्लूरोकार्बन तथा ओजोन की अल्पता - क्लोरोफ्लूरोकार्बन सामान्य तौर पर CFC नाम से जाना जाता है क्लोरीन ,फ्लोरीन तथा कार्बन तत्वों के साधारण योगिक होते है। ये धरातल पर अपेक्षाकृत स्थिर यौगिक होते है तथा मूलरूप में जीवों के लिये विषाक्त नहीं होते है। स्प्रे कैन्स, एयरकंडिशर, रेफ़्रिजेरेटर, फोम, प्लास्टिक, अग्नि शामक (इससे हैलन गैस मिलती है ), प्रसाधन की सामग्रीयों से क्लोरोफ्लूरोकार्बन के उतसर्जन एवं उनके वायुमंडल में पहुँचने  समतापमंडलीय ओजोन गैस तथा परत का क्षय प्रारम्भ हो जाता है।

(4) मीथेन (CH4) -मीथेन गैस भी वायुमण्डल के हरितगृह प्रभाव में वृद्धि करती है। इसके उत्पादन का प्रमुख स्त्रोत जीवीय क्रियाये हैं। उदाहरण  मवेशियों भेड़ बकरियों तथा अन्य जानवरो में आंत्रिक खमीर (आंतड़ियो में उठने वाली खमीर या किण्वन ), धान के खेतों तथा तर भूमिका में वायुविहीन दशा (वायु का पूर्ण अभाव ) तथा मानव कार्यो - जैसे-बायोमास तथा जीवाश्म ईंधनों के जलाने आदि से मीथेन का उत्पादन होता है।

(5) सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) तथा वायु प्रदुषण - सल्फर डाईऑक्साइड गैस (SO2) प्राकृतिक एवं मानव-जनित स्त्रोतों दोनों से होता है। CO2 के बाद SO2 वायु प्रदूषण का द्वितीय सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रदूषण है क्योकि वायुमंडल में समस्त वायु प्रदूषकों के सकल भार का लगभग 20 प्रतिशत भाग So2 का होता है।  सल्फर डाइऑक्साइड रासानिक अभिक्रियाओं द्वारा सल्फ्यूरिक एसिड (H2SO4) का निर्माण करती है जो अत्यधिक संक्षारक तथा मानव- स्वास्थ के लिये हानिकारक होती है। जब सल्फ्यूरिक एसिड जलवर्षा  धरातल पर बैठती है तो अम्ल वर्षा होती है। 

Enjoyed this article? Stay informed by joining our newsletter!

Comments

You must be logged in to post a comment.

About Author