विकास का इतिहास

विकास का इतिहास 

श्री वैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्रा० लि० जो आज एशिया का सबसे बड़ा आयुर्वेदीय प्रतिष्ठान माना जाता है, उसकी उन्नति और व्यापक लोकप्रियता का इतिहास इस उक्ति का प्रमाण है कि पवित्र उद्देश्य और उत्कृष्ट लक्ष्य पर ध्यान रखकर व्यवस्थित परिश्रम और पूर्ण निष्ठा से यदि कोई काम जाए, तो उसमें निश्चित थौर महत्वपूर्ण सफलता मिलती है । आज से ४७ वर्ष पूर्व जिस बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन का आरम्भ, एक लघु औषधालय के रूप में बैद्यनाथ धाम देवधर ( बिहार ) में किया गया था, आज उसी के देश के पांच प्रमुख नगरों-कलकत्ता, पटना, झांसी, नागपुर और नैनी (इलाहाबाद) में पांच बड़े-बड़े औषधि- निर्माण केन्द्र (कारखाने) हैं, और देश के कोने-कोने में फैली हुई ६२५ से विशिष्ट एजेन्सियां (जिसमें केवल बैद्यनाथ-दवाएं ही बिकती हैं) और ३२ हजार से अधिक एजेन्सियां हैं। वैद्यनाथ प्रचलित अनुभूत औषधियों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में आयुर्वेद की समस्त श्रेष्ठ बैद्यनाथ-निर्माण केन्द्रों में बनती हैं । कीमती रस-रसायनों के निर्माण में इस संस्थान को विशिष्टता एवं गौरव प्राप्त है। बैद्यनाथ- औषधि का निर्माण पूर्ण शास्त्रोक्त रीति से किया जाता है ।

स्व० यादवजी त्रिक्रमजी आचार्य द्वारा निर्देशित योगों और विधान के अनुभवी शास्त्रज्ञ आयुर्वेदाचार्य तथा ट्रेण्ड फार्मासिस्टों की देख-रेख में बड़ी दक्षता और स्वच्छता पूर्वक सम्पन्न होता है। भवन के संचालक आयुर्वेदोपाध्याय पं० रामनारायण शर्मा आयुर्वेदीय औषध-निर्माण-कार्य के सुदक्ष ज्ञाता हैं और निर्माण-विभाग पर उनका सदैव नियंत्रण रहता है। मूल द्रव्यों की शुद्धता एवं गुणकारिता की भरपूर परीक्षा के पश्चात् ही वैद्यनाथ-दवाएं बैद्यनाथ की साधन-सम्पन्न निर्माणशालाओं में सुयोग्य रसायनशास्त्रियों और केमिस्टों द्वारा तैयार की जाती हैं। दवाओं की पूर्ण गुणकारिता उनके मूल द्रव्यों की शुद्धता पर निर्भर करती है । उत्तम मूल द्वव्य का न मिलना आजकल औषध-निर्माताओं के लिए सबसे बड़ी कठिनाई है। बंशलोचन, अम्बर, केशर, कस्तूरी, गोरोचन आदि कीमती द्रव्य तो प्रायः नकली ही मिलते हैं। ऐसी कठिन स्थिति में बैद्यनाथ-औषधं अपना उच्च स्थान बनाए रखने में इसलिए सफल हुई हैं कि मूल द्रव्यों को उनके प्राप्ति-स्थानों से ही विश्वस्त और ताजी अवस्था में संग्रह करने का उसका अपना विशेष प्रबन्ध है । उत्तम औषधि-निर्माण के कार्य में भबन ने अपना कितना स्वतन्त्र और ऊंचा स्थान बनाया और आयुर्वेद विकास के उद्देश्य की पूति में वह कितना क्रियाशील रहा है, यह निम्नलिखित उदगारों से स्पष्ट होता है।-

श्री वैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्रा० लि० केवल एक व्यापारिक कारखाना नहीं है, इसलिए यह सिर्फ धनोपार्जन के लिये नफा कमाने की स्कीम नहीं बनाता ।

इसका उद्देश्य है देश में आयुर्वेद को शिक्षा और आयुर्वेदीय औषधियों के प्रचार को प्रोत्साहन देकर जनता का कल्याण करना । मेरे विचार से यह देश की प्रमुख संस्था है ।

बैद्यनाथ की आयुर्वेद सेवाएँ

भवन का यह निश्चित और दृढ़ विश्वास है कि आयुर्वेद एक मात्र ऐसा जीवन-विज्ञान है, जिसके नियमों पर चलकर मानव जाति बिना दवाओं के नीरोग रह सकती है और केवल आयुर्वेद की औषधे ही ऐसी हैं, जो जनता को नीरोग रखते हुए उसे हृष्ट-पुष्ट बना सकती हैं। इसलिए जहाँ भवन यह ध्यान रखता है कि बैद्यनाथ औषधं इतनी प्रामाणिक, निरापद और लाभकारी हों कि उनके उपयोग द्वारा जनता में आयुर्वेद के प्रति विश्वास बढ़े, वहाँ आयुर्वेद के विकास-हेतु भी भवन अनेक विशिष्ट योजनाओं को क्रियान्वित करता है ।

आयुर्वेद-चिकित्सा द्वारा सक्रिय जन-सेवा के लिए भवन की ओर से स्थानों पर निःशुक्ल चिकित्सालय एवं स्वास्थ्य-रक्षा-केन्द्र संचालित हैं। भारतीय संसद-सदस्यों को आयुर्वेद के निकट लाने और केन्द्रीय सरकार की दृष्टि में आयुर्वेद का प्रत्यक्ष प्रभाव प्रदर्शित करने के लिए पिछले कई वर्षों से नई दिल्ली के संसद सदस्य-निवास-क्षेत्र में भवन द्वारा एक सुव्यवस्थित निःशुक्ल आयुर्वेदीय चिकित्सालय संचालित है। इस आयोजन से संसदीय क्षेत्र में प्रभावशाली वातावरण का हुआ है ।

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